कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अगर शराब पीने के लिए निर्धारित कानूनी उम्र की तरह ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए भी एक उम्र सीमा तय की जाए तो यह उपयुक्त होगा. न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति विजयकुमार ए. पाटिल की खंडपीठ ने 30 जून के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली ‘एक्स कॉर्प' (पूर्व में ट्विटर) की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. एकल न्यायाधीश ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विभिन्न आदेशों के खिलाफ एक्स की याचिका खारिज कर दी थी.
मंत्रालय ने दो फरवरी, 2021 और 28 फरवरी, 2022 के बीच सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत 10 सरकारी आदेश जारी किये थे, जिसमें 1,474 खातों, 175 ट्वीट, 256 यूआरएल और एक हैशटैग को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया था. ट्विटर ने इनमें से 39 यूआरएल से जुड़े आदेशों को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र ने कहा, 'सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाएं. मैं आपको बताऊंगा कि बहुत कुछ अच्छा होगा. आज के स्कूल जाने वाले बच्चे इसके आदी हो गए हैं. मुझे लगता है कि आबकारी नियमों की तरह (इसकी भी) एक उम्र सीमा तय होनी चाहिए.'
अदालत ने आगे कहा, ‘‘बच्चे 17 या 18 साल के हो सकते हैं, लेकिन क्या उनमें यह निर्णय लेने की परिपक्वता है कि देश के हित में क्या (अच्छा) है और क्या नहीं? न केवल सोशल मीडिया पर, बल्कि इंटरनेट पर भी ऐसी चीजें हटाई जानी चाहिए, जो मन को विषाक्त करती हैं. सरकार को सोशल मीडिया के उपयोग के लिए एक उम्र सीमा निर्धारित करने पर भी विचार करना चाहिए.''
अदालत ने ‘एक्स कॉर्प' पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गई. अदालत ने कहा कि वह बुधवार को ‘एक्स कॉर्प' की ओर से मांगी गई अंतरिम राहत पर फैसला करेगी और उसकी अपील की सुनवाई बाद में की जाएगी.
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