बालिग पत्नी से यौन संबंधों को 'अपराध' घोषित करने का कोई प्रस्ताव नहीं : सरकार

इस मुद्दे पर केंद्र सरकार कह चुकी है कि यह मुद्दा कानूनी से अधिक सामाजिक है, जिसका सामान्य रूप से समाज पर सीधा असर पड़ता है.

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प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:

सरकार ने बुधवार को कहा कि मैरेटियल रेप को अपराध की श्रेणी में लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है. गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने राज्यसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि किसी पुरुष द्वारा अपनी 18 साल से अधिक उम्र की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना या उनके बीच यौन कृत्यों को अपराध मानने का कोई प्रस्ताव नहीं है. उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 74, 75, 76 और 85 तथा घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 में पर्याप्त उपाय का प्रावधान है, जिसमें दंडात्मक परिणाम भी शामिल हैं, ताकि विवाह संस्था में महिला के अधिकार और सम्मान की रक्षा हो सके.

इस मुद्दे पर केंद्र की क्या राय

इस मुद्दे पर केंद्र सरकार कह चुकी है कि यह मुद्दा कानूनी से अधिक सामाजिक है, जिसका सामान्य रूप से समाज पर सीधा असर पड़ता है. इस मुद्दे पर सभी हितधारकों से उचित परामर्श किए बिना या सभी राज्यों के विचारों को ध्यान में रखे बिना फैसला नहीं लिया जा सकता है.  केंद्र सरकार ये भी कह चुकी है कि विवाह से महिला की सहमति समाप्त नहीं होती है और इसके उल्लंघन के परिणामस्वरूप दंडात्मक परिणाम होने चाहिए. हालांकि, विवाह के भीतर इस तरह के उल्लंघन के परिणाम विवाह के बाहर के उल्लंघन से भिन्न होते हैं. सहमति के उल्लंघन के लिए अलग-अलग सजा दी जानी चाहिए. यह इस बात पर निर्भर करता है कि ऐसा कृत्य विवाह के भीतर हुआ है या विवाह के बाहर.

रेप विरोधी कानूनों के तहत दंड असंगत : केंद्र 

सरकार ऐसे मामले में ये भी कह चुकी है कि विवाह में अपने जीवनसाथी से उचित यौन संबंध बनाने की निरंतर अपेक्षा की जाती है. ऐसी अपेक्षाएं पति को अपनी पत्नी को उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने का अधिकार नहीं देती हैं. हालांकि, केंद्र ने कहा कि इस तरह के कृत्य के लिए बलात्कार विरोधी कानूनों के तहत किसी व्यक्ति को दंडित करना अत्यधिक और असंगत हो सकता है.   सरकार ने कहा कि संसद ने विवाह के भीतर विवाहित महिला की सहमति की रक्षा के लिए पहले से ही विभिन्न उपाय प्रदान किए हैं. इन उपायों में विवाहित महिलाओं के प्रति क्रूरता को दंडित करने वाले कानून (भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 498ए)  है. महिलाओं की शील के विरुद्ध कृत्यों को दंडित करने वाले कानून और घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत उपाय शामिल हैं. 
 

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