भारत सरकार ने मंगलवार को स्वदेशी कार असेसमेंट प्रोग्राम लॉन्च किया. इसका नाम दिया गया है "भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम". इसके ज़रिए कार की सेफ्टी के हिसाब से फाइव स्टार की रेटिंग में कार को रेट किया जाएगा. अब तक ये व्यवस्था विदेशों में ही थी. अब माना जा रहा है कि इससे सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद में एक तिहाई की कमी आएगी. एक अक्टूबर से शुरू होने वाला ये प्रोग्राम स्वैच्छिक है, लेकिन अब तक 30 अलग-अलग मॉडल ने इस नई पद्धति से गुजरने की हामी भर दी है.
भारत में बनने वाली गाड़ियों की मजबूती अब यहीं तय होंगी. कुछ एक इस तरह के क्रैश टेस्ट से गुजरने के बाद अंदाज़ा लगाया जा सकेगा कि सेफ्टी के लिहाज़ से कार किस पायदान पर है और दुर्घटना के वक्त उसमें सवार लोगों को कितना नुकसान पहुंच सकता है. इसके बाद फाइव स्टार रेटिंग में उसको रेट किया जाएगा. साथ ही भारत NCAP यानी भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम की तरफ से रेटिंग का ये स्टिकर मैन्युफैक्चर को दिया जाएगा.
आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर साल 5 लाख सड़क हादसे होते हैं. इनमें 1.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है. रोज़ाना होने वाले सड़क हादसों की संख्या 1100 है और इसमें हर रोज 400 लोगों की जान चली जाती है. हर घंटे 47 सड़क हादसे होते हैं, जिसमें 18 लोगों की मौत होती है. ड्राइविंग बिहेवियर, सड़क की स्थिति के अलावा कार की गुणवत्ता की भूमिका भी इसमें अहम होती है.
स्वैच्छिक रूप से NCAP के ज़रिए गाड़ियों की क्रैश टेस्टिंग 1 अक्टूबर से लागू होने जा रही है. लेकिन कार निर्माता अभी से इस नई व्यवस्था में बढ़ चढ़कर भरोसा दिखा रहे हैं. अलग-अलग कंपनियों के 30 मॉडल्स ने इस टेस्टिंग से गुजरने को लेकर फिलहाल हामी भी भर दी है.
एसआईएएम के अध्यक्ष विनोद अग्रवाल ने कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग अधिक सुरक्षित वाहनों का निर्माण जारी रखेगा, ये न केवल सरकार द्वारा निर्धारित सुरक्षा मानकों को पूरा करेगा, बल्कि उनसे कहीं आगे होगा.