चीतों की मौत से हताश नहीं सरकार, रिलोकेशन के शुरुआत में 50 फीसदी मौतों की होती है आशंका : सूत्र

चीतों की मौत को लेकर सूत्रों का कहना है कि किसी भी रिलोकेशन के दौरान शुरुआत में इस तरह की मौतें सामान्य मानी जाती हैं, जिन पांच चीतों की मौत हुई है, उनकी मौत के कारण भी अलग-अलग हैं. 

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नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से पिछले साल 20 चीतों को लाया गया था. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार प्रोजेक्‍ट चीता के तहत दुनिया के दूसरे देशों से लाए गए चीतों की मौत से हताश नहीं है. सरकार के सूत्रों के अनुसार, प्रोजेक्ट चीता सही रास्ते पर है. सूत्रों के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट की शुरुआत में ही विशेषज्ञों ने स्पष्ट कर दिया था कि ऐसे रिलोकेशन में 50 फीसदी मृत्यु की आशंका होती है. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अब तक अफ्रीका से लाए गए पांच चीतों की मौत को चुकी है, वहीं तीन शावक भी जीवित नहीं बच पाए हैं. आपको बता दें कि नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से पिछले साल 20 चीतों को लाया गया था. 

सूत्रों के मुताबिक, इन देशों ने हर साल कम से कम पांच चीते देने का वादा किया है और यह रिलोकेशन अगले पांच साल तक चलेगा यानी हर साल चीतों की संख्या में इजाफा होने का अनुमान है. 

चीतों की मौत को लेकर सूत्रों का कहना है कि किसी भी रिलोकेशन के दौरान शुरुआत में इस तरह की मौतें सामान्य मानी जाती हैं, जिन पांच चीतों की मौत हुई है, उनकी मौत के कारण भी अलग-अलग हैं. 

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इस तरह से हुई चीतों की मौत 
पहला चीता अफ्रीका से लाते वक्‍त ही बीमार था. बाद में उसकी यहां लाने के बाद मौत हो गई. वहीं दूसरा चीता बारहसिंघे का शिकार करते वक्‍त सींग लगने से घायल हो गया था और बाद में उसकी मौत हो गई. तीसरे मादा चीते की मौत दो नर चीतों के साथ लड़ाई में हुई तो चौथा चीता शिकार करते समय दूसरे चीते से लड़ाई में मारा गया. इनके अलावा पांचवे चीते की मौत गर्दन में कीड़े के काटने के बाद उस जख्म के लिए बार-बार जीभ ले जाने के लिए गर्दन घुमाने के कारण हुई, क्योंकि पट्टे से घाव हो गया था. 

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ऐसे हुई शावकों की मौत 
वयस्‍क चीतों के अलावा तीन शावकों की भी मौत हुई है. सूत्रों के मुताबिक, शावकों का जन्म 48 डिग्री तापमान में हुआ था और उन्हें शुरुआत में एक महीने तक मां का दूध ही पीना था. चार में से तीन शावकों की मौत 'सबसे योग्‍य के जीवित रहने' वाली बात थी. 

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रेडियो कॉलर वाले पट्टों को उतारने की खबर गलत
इसके साथ ही सरकार की ओर से उन खबरों को गलत बताया गया है जिनमें कहा गया है कि अब चीतों के गले से रेडियो कॉलर लगे पट्टे को उतारा जा रहा है. 

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