सरकार ने दफ्तरों की रद्दी बेचकर 3 हफ्ते में कमाए 254 करोड़, 37 लाख वर्ग फीट जगह हुई खाली

अब तक 40 लाख फाइलों का अवलोकन किया गया है. जिन फाइलों को रखना है उनको इस तरह के कंपैक्टर में रखा जा रहा है और जिनको बेचना है उनको श्रेडर में डालकर क्रश किया जा रहा है.

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फाइल फोटो
नई दिल्ली:

सरकारी दफ्तरों की बेकार फाइलों को लेकर सरकार ने स्वच्छता अभियान चला रखी है. इस अभियान के तहत मोदी सरकार ने महज 3 हफ्तों में सरकारी दफ्तरों की रद्दी फाइलें, ई-कचरा और फर्नीचर बेचकर करीब 254 करोड़ रुपये कमाए. यही नहीं, इससे सेंट्रल विस्टा के बराबर करीब 37 लाख वर्ग फीट की जगह भी खाली हुई. इंडिया पोस्ट के दफ्तर ने तो ऐसी खाली जगह पर कर्मचारियों के लिए एक कैंटीन भी बना दी है.

इंडिया पोस्ट की कैंटीन का नाम आंगन है. कभी इस आंगन में कचरे का डेरा था. बेकार हो चुकी सरकारी फाइलें, खराब एसी कूलर और फर्नीचर सब इसी जगह पड़े होते थे, लेकिन अब ये हरा भरा इलाका है और यहां खूबसूरत कैंटीन है. रद्दी बिकी तो जगह भी खाली हुई और कमाई भी हुई. ये बात सिर्फ दिल्ली के दफ्तर तक नहीं सिमटी.

इंडिया पोस्ट के सचिव विनीत पांडे ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि उनके विभाग में स्वच्छता अभियान का पहला चरण अपने दिल्ली के दफ्तर से की. इसके बाद अपने हेड पोस्ट ऑफिस तक गए. इस बार अब तक 18 हजार लोकेशन कर चुके हैं और इससे करीब 60-70 करोड़ की कमाई हुई है. 

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ये मुहिम भारत सरकार के तमाम दफ्तरों में चल रही है. अब तक देश में अलग-अलग मंत्रालयों के 68 हजार दफ्तरों में फाइलों और रद्दी को लेकर अभियान को अंजाम दिया गया है.

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इंडियन पोस्ट के करीब 18 हज़ार, रेलवे के 7 हजार स्टेशन, फार्मास्यूटिकल विभाग के 6 हजार, डिफेंस के 4 हजार 500 और गृह मंत्रालय की करीब 4900 साइट्स शामिल हैं. महज़ तीन हफ्ते में रद्दी बेचने से करीब 254 करोड़ रुपये की आमद हुई है और 37 लाख वर्ग फीट का एरिया दफ्तरों में खाली हुआ है जो सेंट्रल विस्टा के एरिया के बराबर है.

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सरकारी फाइलों की एक मियाद होती है. इसको लेकर ऑफिस मेमोरेंडम है. 1 साल, तीन साल, 5 साल या 25 साल और इसके बाद जो फाइल है उसको नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया में रखी जाती हैं, लेकिन जिन फाइलों का निस्तारण होता है जिनकी मियाद खत्म हो गई है उसको श्रेडर मशीन में इस तरह से डालकर तब उसको क्रश कर दिया जाता है ताकि उसका कोई भी एलिमेंट कोई पढ़ न पाए और तब रद्दी के भाव में बेचा जाता है.

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अब तक 40 लाख फाइलों का अवलोकन किया गया है. जिन फाइलों को रखना है उनको इस तरह के कंपैक्टर में रखा जा रहा है और जिनको बेचना है उनको श्रेडर में डालकर क्रश किया जा रहा है. रद्दी वाली जगह पर कहीं खूबसूरत कैंटीन बनी है तो कहीं पुराने फर्नीचर को ही नया रंग रूप दिया गया है. कोशिश सोच और सूरत बदलने की है. स्वच्छता को अपनाने की है.

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