घर से कैश मिलने का मामला: जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव ला सकती है सरकार

संसद का मानसून सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होने की संभावना है. न्यायमूर्ति वर्मा को उनके आवास पर नकदी मिलने की इस अप्रिय घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेज दिया गया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की तैयारी में सरकार
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने के विकल्प पर विचार कर रही है. जस्टिस वर्मा को दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के बाद उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त जांच समिति ने दोषी ठहराया था. सरकारी सूत्रों ने कहा कि यदि जस्टिस वर्मा स्वयं इस्तीफा नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाना एक स्पष्ट विकल्प होगा.

महाभियोग की कार्रवाई करने की सिफारिश की

संसद का मानसून सत्र जुलाई के दूसरे पखवाड़े में शुरू होने की संभावना है. जस्टिस वर्मा को उनके आवास से नकदी मिलने की इस घटना के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय वापस भेज दिया गया था. तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई करने की सिफारिश की थी.

जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से किया था इनकार

सीजेआई खन्ना ने यह पत्र तब भेजा था जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था, हालांकि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया गया . सूत्रों ने बताया कि पूर्व सीजेआई खन्ना ने न्यायमूर्ति वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई की औपचारिक प्रक्रिया अभी शुरू नहीं हुई है.

Advertisement

जस्टिस वर्मा ने घर से कैश मिलने पर क्या कहा

वर्मा ने खुद को निर्दोष बताया है और अपने ‘आउटहाउस' में आग लगने के बाद मिली नकदी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया है. सरकारी सूत्रों ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सरकार विपक्षी दलों को विश्वास में लेगी. इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा को विभिन्न राजनीतिक दलों की आलोचना का सामना करना पड़ा है. एक सूत्र ने कहा, ‘‘इस मामले पर जल्द अंतिम निर्णय लिया जाएगा. इस तरह के स्पष्ट घोटाले को नजरअंदाज करना मुश्किल है.''

Advertisement

कैसे लाया जाता है महाभियोग

संसद के दोनों सदनों में से किसी एक में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है. राज्यसभा में कम से कम 50 सदस्यों को प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने होते हैं और लोकसभा में 100 सदस्यों को इसका समर्थन करना होता है. प्रस्ताव दो-तिहाई मतों से पारित होने पर लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति जांच समिति में उच्चतम न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश और एक उच्च न्यायालय के मुख्य जस्टिस को नामित करने के लिए प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखते हैं.

Advertisement

सरकार प्रस्ताव में उल्लिखित आरोपों की जांच करने वाली समिति में अपनी ओर से एक ‘‘प्रतिष्ठित न्यायविद'' को नामित करती है. सूत्रों ने कहा कि सरकार चाहती है कि प्रस्ताव को सभी दलों का समर्थन मिले. सरकार प्रस्ताव के मसौदे पर सभी दलों से परामर्श करेगी, जिसमें तीन सदस्यीय समिति के निष्कर्ष शामिल होंगे. समिति ने न्यायाधीश के आवास से आधी जली हुई नकदी की गड्डियां मिलने की जांच की थी. न्यायमूर्ति वर्मा घटना के समय दिल्ली उच्च न्यायालय में थे. बाद में उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वापस भेज दिया गया.

Advertisement
Featured Video Of The Day
PM Modi Bengal Visit: बंगाल में चीख पुकार, नहीं चाहिए निर्मम सरकार... अलीपुरद्वार में पीएम मोदी