लोकसभा में इकतरफा नहीं मैच, BJP के पास इन 5 की क्या काट?

इस बार संसद में कुछ ऐसे नेता भी चुनकर आए हैं, जो अपने भाषणों और कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं.इन नेताओं के लिए सत्ता पक्ष को अलग से रणनीति बनानी पड़ सकती है.ये आइए जानते हैं ऐसे ही नेताओं के बारे में.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं.नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट से शपथ ले ली है.सरकार ने संसद सत्र की तारीखों का भी ऐलान कर दिया है. 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से बुलाया गया है.यह सत्र तीन जुलाई तक चलेगा. इस दौरान नए सदस्यों को शपद दिलाई जाएगी और स्पीकर का चुनाव कराया जाएगा. इसके साथ है संसद में विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने सामने आ जाएंगे.इस बार संसद में कुछ ऐसे नेता भी चुनकर आए हैं, जो अपने भाषणों और कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं.इन नेताओं के लिए सरकार को अलग से रणनीति बनानी पड़ सकती है.ये आइए जानते हैं ऐसे ही नेताओं के बारे में.

भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद

भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से सांसद चुने गए हैं. वो आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के टिकट पर संसद पहुंचे हैं. इस पार्टी के संस्थापक भी वो खुद ही हैं. आजाद को राजनीतिक और सामाजिक मसलों पर उनके उत्तेजक भाषणों के लिए जाना जाता है. आजाद ने संसदीय राजनीति में आने से पहले भीम आर्मी नाम का संगठन बनाया था.अपने गांव में हुए एक विवाद के बाद से वो सुर्खियों में आए थे.उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें जेल भी भेजा था. इसके बाद ही उन्होंने राजनीतिक दल बनाने का फैसला किया था.दलितों के मुद्दे को लेकर वो बीजेपी के कट्टर आलोचक हैं. 

चंद्रशेखर उत्तर प्रदेश की नगीना सीट से सांसद चुने गए हैं.

चंद्रशेखर ने यह चुनाव ऐतिहासिक रूप से जीता है.दरअसल नगीना सीट पर उन्हें न तो इंडिया गठबंधन ने समर्थन किया था और न ही एनडीए ने. चंद्रशेखर के खिलाफ इंडिया गठबंधन, बीजेपी और बसपा ने भी उम्मीदवार उतार दिए थे.इतनी तगड़ी घेरेबंदी को तोड़कर डेढ़ लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की है. चुनाव के बाद और पहले भी वो राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल के साथ नजर आए हैं. 

Advertisement

राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव

बिहार के फायरब्रांड नेता राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव छठी बार सांसद चुने गए हैं.इस बार वो बिहार की पूर्णिया सीट से निर्दलीय चुनाव जीते हैं.दरअसल चुनाव से ठीक पहले पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया था.उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस उन्हें पूर्णिया से अपना उम्मीदवार बनाएगी.लेकिन ऐसा हुआ नहीं.यह सीट राजद के खाते में चली गई.राजद ने वहां से बीमा भारती को टिकट भी दिया.इससे पप्पू की उम्मीदों को धक्का लगा.पप्पू पूर्णिया के लिए काफी समय से तैयारी कर रहे थे.उनकी मेहनत भी रंग लाई. इस चुनाव में उन्होंने जेडीयू के संतोष कुमार को हराया है. राजद उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहीं.पप्पू तीसरी बार निर्दलीय जीते हैं.तीनों ही बार वे पूर्णिया से ही जीते हैं.पप्पू यादव अपनी जुझारू छवि के लिए जाने जाते हैं. चुनाव जीतने के बाद ही उन पर रंगदारी मांगने का आरोप लगा है. उन्होंने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है.

Advertisement

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के साथ पप्पू यादव.

सबरजीत सिंह खालसा

सरबजीत सिंह खालसा पंजाब की फरीदकोट सीट से निर्दलीय चुनाव जीते हैं. सरबजीत सिंह की एक पहचान पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या में सजा पाए बेअंत सिंह के बेटे की है.सरबजीत सिख संगत की अपील पर चुनाव मैदान में उतरे.वो उस वक्त चर्चा में आए जब उन्होंने 2015 में गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का मामला उठाया था.अभी उन्होंने एनडीए या इंडिया ब्लॉक में से किसी को भी अपना समर्थन नहीं दिया है. 

Advertisement

अमृतपाल सिंह

'वारिस पंजाब दे' संगठन के प्रमुख और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को पिछले साल अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था. उस पर राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून जैसी गंभीर धाराए लगाई गई हैं. अमृतपाल पर 16 मामले दर्ज हैं. गिरफ्तारी के बाद से ही वो असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है. अमृतपाल ने पंजाब में 'पंथक सीट'मानी जानी वाली खडूर साहिब सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की है. उसने करीब दो लाख वोट के बड़े अंतर से जीत दर्ज की.खडूर साहिब का सिखों के लिए विशेष महत्व है.सिख धर्म के दस गुरुओं में से आठ का संबंध यहां से रहा है.अमृतपाल इसी इलाके के एक गांव एक गांव जल्लूपुर खेड़ा का रहने वाला है. अमृतपाल को सिमरनजीत सिंह मान की शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर)ने समर्थन किया था.उसके चुनाव प्रचार का जिम्मा भी इसी दल ने संभाला था.

अमृतपाल सिंह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है.

अमृतपाल सिंह पर नशा विरोधी अभियान के नाम पर युवाओं में देश विरोधी गतिविधियां चलाने का आरोप है. उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. उसके समर्थकों ने प्रचार के दौरान नशा विरोध को ही मुद्दा बनाया था.

Advertisement

इंजीनियर राशिद

लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में सबसे बड़ा उलटफेर इंजीनियर अब्दुल राशिद ने किया था.जम्मू कश्मीर की बारामूला सीट पर उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को हराया है.शेख अब्दुल रशीद, जम्मू-कश्मीर आवामी इत्तेहाद पार्टी के संस्थापक हैं. रशीद ने निर्दलीय के रूप में चुनाव मैदान में थे.रशीद 2008 और 2014 के विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की लंगेट सीट से जीत हासिल की थी.रशीद ने 2019 का लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. रशीद इस समय टेरर फंडिंग केस में यूएपीए के तहत दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं.राशिद ऐसे पहले नेता हैं जिसके खिलाफ यूएपीए के तहत कार्रवाई हुई है.

ये भी पढ़ें: 'ये रिश्ता क्या कहलाता है?' कन्नड़ के सुपरस्टार्स दर्शन-पवित्रा ने इस लाइन का फैन से लिया खूनी बदला?

Featured Video Of The Day
Arvind Kejriwal को मुश्किल में डालेंगे Delhi के दो-दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे?
Topics mentioned in this article