जलवायु परिवर्तन भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लिए नकारात्‍मक जोखिम : NDTV से बोलीं गीता गोपीनाथ

गीता गोपीनाथ ने बताया कि एशिया में तापमान वृद्धि वैश्विक औसत से अधिक रही है. साथ ही उन्‍होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया.

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नई दिल्ली:

अंतरराष्‍ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) की डिप्‍टी मैनेजिंग डायरेक्‍टर गीता गोपीनाथ (Gita Gopinath) ने भारत के आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक जोखिम को चिह्नित किया है. साथ ही उन्‍होंने इस मोर्चे पर 'बहुत अधिक एक्‍शन' का आह्वान किया है. NDTV को दिए एक इंटरव्‍यू में गोपीनाथ ने बताया कि कैसे जलवायु परिवर्तन विकास को नुकसान पहुंचा रहा है. साथ ही उन्‍होंने देश में रोजगार सृजन के मुद्दे पर भी बात की. 

उन्होंने कहा, "भारत के दृष्टिकोण से जाखिमों को लेकर सबसे नकारात्मक जोखिमों में से एक जलवायु से संबंधित है.  हम इसे बारिश की अस्थिरता, बारिश का अनुमान लगाने के साथ ही फसल और ग्रामीण आय पर प्रभाव के संदर्भ में देख रहे हैं."

एशिया में वैश्विक औसत से अधिक तापमान वृद्धि : गोपीनाथ 

गोपीनाथ ने बताया कि एशिया में तापमान में बढ़ोतरी वैश्विक औसत से अधिक रही है. उन्‍होंने कहा, "हमने एशिया को समग्र रूप से एक क्षेत्र के रूप में देखा है और आप एशिया में तापमान में जो बढ़ोतरी देख रहे हैं, वह वैश्विक औसत से अधिक है. विशेष रूप से भारत के लिए आप यदि 1950 से 2018 को देखें तो तापमान आधा डिग्री सेंटिग्रेड से अधिक बढ़ गया है और इसके वास्तविक परिणाम हैं." 

उन्होंने इस बात की ओर भी ध्‍यान आकर्षित किया कि कैसे वैश्विक जलवायु आपदाएं अगले दशक में बड़ी वित्तीय चुनौती पैदा कर सकती हैं. 

गोपीनाथ ने कहा, "जलवायु आपदाओं (वैश्विक स्तर पर) की 1980 के बाद से हमने जो लागत देखी है, वह हर साल सकल घरेलू उत्पाद का करीब आधा प्रतिशत अंक रहा है और अगले दशक में यह लागत करीब 0.3 प्रतिशत अंक होगी. इसलिए यह गंभीर खतरा है, जिसका जिसका दुनिया सामना कर रही है." 

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कदम उठाने होंगे : गोपीनाथ 

आईएमएफ अर्थशास्त्री ने कहा, "भारत के साथ ही जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई कदम उठाने की जरूरत है."

उन्होंने कहा कि एक पैकेज जो रिनीवेबल ऊर्जा पर सब्सिडी देता है और जिसमें कार्बन मूल्य निर्धारण योजना है, स्वच्छ-ऊर्जा संक्रमण प्रदान कर सकता है. उन्होंने कहा कि दुनिया को स्वच्छ-ऊर्जा के लिए खरबों डॉलर की आवश्यकता है. 

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इसके संभावित समाधान पर बात करते हुए उन्‍होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा पर सब्सिडी देने वाला पैकेज और कार्बन प्राइसिंग स्‍कीम स्वच्छ-ऊर्जा ट्रांजिशन प्रदान कर सकती है. उन्होंने कहा कि दुनिया को स्वच्छ-ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए खरबों डॉलर की जरूरत है. 

उन्होंने कहा कि स्वच्छ-ऊर्जा ट्रांजिशन फंडिंग का करीब 90 फीसदी हिस्सा निजी क्षेत्र से आना है. 

भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्‍यवस्‍था : गोपीनाथ 

भारत के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि देश ने विकास के मामले में "बेहद अच्छा" किया है और बताया है कि यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है. 

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हालांकि उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार वृद्धि 2 फीसदी से कम है. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "भारत का विकास पूंजी प्रधान रहा है, लेकिन श्रमिकों को काम पर रखना काफी कम है. भारत को मानव पूंजी और कुशल श्रमिकों में अधिक निवेश की जरूरत है. अब से 2030 के बीच 60-148 मिलियन के बीच नौकरियां पैदा करने की जरूरत है."

उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की चुनौतियों और अवसरों को भारतीय नौकरी बाजार के संदर्भ में विस्‍तार से बताया. उन्होंने कहा, "जेनरेटिव एआई सेवाओं को अधिक ऑटोमेटेड बना रहा है और भारत की 24 फीसदी श्रम शक्ति एआई के संपर्क में है."
 

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