बंबई हाईकोर्ट का रुख कर छात्राओं ने कक्षा में हिजाब, बुर्का पर पाबंदी के निर्देश को चुनौती दी

याचिका में कहा गया है कि नकाब, बुर्का और हिजाब याचिकाकर्ताओं की धार्मिक आस्था का अभिन्न अंग हैं और इस पर प्रतिबंध लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.

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मुंबई:

मुंबई में नौ छात्राओं ने बंबई उच्च न्यायालय का रुख कर अपने कॉलेज प्रशासन द्वारा कक्षा में हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश को चुनौती दी है. अपनी याचिका में छात्राओं ने कहा कि चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी के एन. जी. आचार्य और डी.के. मराठे कॉलेज द्वारा लगाया गया प्रतिबंध ‘‘मनमाना, अनुचित और कानून के विरुद्ध है.''

न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर की अध्यक्षता वाली पीठ अगले सप्ताह याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका के अनुसार, एक मई को कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप पर नोटिस के साथ एक संदेश जारी किया गया था, जिसमें बुर्का, नकाब, हिजाब, बैज, टोपी और दुपट्टा पर ड्रेस कोड प्रतिबंध लगाया गया था.

याचिकाकर्ता, स्नातक द्वितीय और तृतीय वर्ष की छात्राएं हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह का निर्देश सत्ता के दुरूपयोग के अलावा और कुछ नहीं है.

याचिका में कहा गया है कि नकाब, बुर्का और हिजाब याचिकाकर्ताओं की धार्मिक आस्था का अभिन्न अंग हैं और इस पर प्रतिबंध लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है.

याचिकाकर्ताओं ने शुरूआत में कॉलेज प्रबंधन और प्राचार्य से नकाब, बुर्का और हिजाब पर प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया था. उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कुलपति के साथ-साथ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को भी नोटिस के खिलाफ अपनी शिकायत की. याचिकाकर्ताओं ने उनसे ‘‘बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों को शिक्षा प्रदान करने की भावना को बनाए रखने के लिए'' हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया.

हालांकि, जब उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, तो छात्राओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. याचिका में कहा गया है कि नोटिस बिना किसी कानूनी अधिकार के जारी किया गया और इसलिए यह कानूनन गलत और अमान्य है. याचिका में, नोटिस को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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