- 31 दिसंबर को गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है जिससे डिलीवरी सेवाएं प्रभावित होंगी.
- गिग वर्कर्स ने कहा कि एक्सीडेंट या चोट लगने पर कोई इंश्योरेंस या सहायता प्रदान नहीं की जाती है.
- ग्राहकों की झूठी शिकायतों पर वर्कर्स की आईडी ब्लॉक कर दी जाती है जिससे उनका काम प्रभावित होता है.
नए साल के मौके पर गिग वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है. मतलब कि 31 दिसंबर की रात को आप घर बैठे जोमैटे और स्वीगी से कुछ भी सामान नहीं मंगवा सकेंगे. ये इन वर्कर्स की कोई जिद नहीं है, बल्कि इसके पीछे छिपा है इनका वह दर्द, जो कोई भी नहीं सुनता है. 10 मिनट की डिलीवरी के चक्कर में ये इनकी जान जोखिम में पड़ जाती है, इनकी चिंता करने वाला कोई भी नहीं है.
ये भी पढ़ें- डिलीवरी बॉय जो आपके घर 10 मिनट में सामान लाते हैं, आप जानते हैं वो कितना कम कमाते हैं?
NDTV पर मुंबई के गिग वर्कर्स का दर्द
ये गिग वर्कर्स मोबाइल में घर बैठे एक क्लिक पर आपके घर का सामान 10 मिनट में आपके पास लेकर आ जाते हैं, लेकिन वह खुद किन जोखिमों को सामना कर रहा है और कौन सी कुर्बानियां दे रहा है, ये कोई नहीं देखता. मुंबई के ये डिलीवरी वॉरियर्स और गिग वर्कर्स आंदोलन करने पर मजबूर हैं, क्यों कि अब उनका काम उनकी भूख नहीं मिटा पा रहा है. NDTV के सामने इन वर्कर्स ने अपना दर्द बयां किया है.
कोई इंश्योरेंस भी नहीं मिलता
डिजिटल इंडिया के इन अदृश्य मजदूरों का कहना है कि इनको कोई इंश्योरेंस नहीं मिलता है. अगर एक्सीडेंट हो जाता है, और मैनेजर को बताया जाए तो वह कुछ भी नहीं सुनता है.
गिर गए, खून निकला, किसी ने नहीं सुना
स्वीगी वर्कर ने बताया कि वे लोग बहुत परेशान करते हैं. वहीं एक इंस्टामार्ट डिलीवरी बॉय ने बताया कि पार्सल ले जाते समय बाइक स्लिपर होकर गिर गई और उंगली फ्रैक्चर हो गई और पैर का अंगूठा फट गया. इससे खून निकलने लगा. लेकिन कोई सुनवाई नहीं.
कस्टमर ने झूठी शिकायत की और आईडी ब्लॉक
इंस्टामार्ट के ही दूसरे वर्कर ने अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि सही ऑर्डर डिलीवर करने के बाद भी कस्टमर ने कंप्लेंट कर दी.जिसके बाद उसकी आईडी ब्लॉक कर दी गई.
10 मिनट की जल्दबाजी में मौत तक हो जाती है
वहीं दूसरे गिग वर्कर्स ने बताया कि 10 मिनट डिलीवी के चलते जल्दबाजी में रोड पर दूसरे गाड़ी वाले उनको टक्कर मार देते हैं. की मामलों में तो मौत तक हो जाती है. डिलीवरी जरा सी भी लेट हो तो कंपनी वाले टॉर्चर करना शुरू कर देते हैं.
स्टोर वाले पानी तक नहीं पीने देते
जिन स्टोर ये ये लोग सामान लेकर आते हैं, वे भी बात अच्छे से नहीं करते. न पानी पीने देते हैं और न ही बैठने देते हैं. टॉयलेट तक जाने के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हैं. ये लोग करें तो क्या करें. उन्होंने कहा कि तुम रगड़ते रहो, मरते रहो, किसी को कोई मतलब नहीं.
आंदोलन करना मजबूरी है!
ये दर्द है, उन गिग वर्कर्स का, जो 10 मिनट में आप तक आपकी जरूरत का सामान बस एक क्लिक पर पहुंचा देते हैं, लेकिन इनकी परेशानी सुनने वाला कोई भी नहीं है. इसी वजह से ये लोग आंदोलन करने को मजबूर हैं.













