Ground Report: 40 साल बाद क्यों इतनी उफान पर है हिंडन नदी? जानें- गाजियाबाद में बाढ़ से तबाही की वजह

हिंडन नदी में पानी आने से गाजियाबाद और नोएडा के कई निचले इलाकों में पानी भर गया है. हिंडन नदी के पानी से अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है. करीब 7000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. सवाल ये है कि 1978 के बाद हिंडन नदी में फिर से क्यों उफान आया है?

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गांव करहेड़ा की चार कॉलोनियों में हिंडन नदी का पानी भर गया है. इन कॉलोनियों में रहने वाले एक हजार से ज्यादा परिवार दहशत में आ गए हैं.

नई दिल्ली:

दिल्ली के बाद अब नोएडा और गाजियाबाद में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है. यहां यमुना नदी शांत हुई, तो हिंडन नदी उफान पर आ गई. फर्रुखनगर, मोहननगर, साहिबाबाद जैसे इलाकों के गांवों में एकाएक बाढ़ का पानी आबादी की ओर बढ़ने लगा. कई घर बाढ़ के पानी में करीब 5-5 फीट तक डूब गए. इन घरों में रह रहे लोगों ने छतों पर चढ़कर जान बचाई. एनडीआरएफ की टीम नाव से उनतक खाना और पानी पहुंचा रही है. एनडीआरएफ की टीम अब तक 7000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा चुकी है.

बाढ़ में सबसे ज्यादा नुकसान करहेड़ा गांव का हुआ है. यहां की सड़कों पर एनडीआरएफ की बोट चल रही हैं. हजारों की आबादी वाले इस इलाके में दूर दूर तक पानी ही पानी दिख रहा है. मकान पानी में डूबे हुए हैं. लोग ताला लगाकर दूसरी जगह चले गए हैं. ऐसे में यह इलाका अब लगभग वीरान सा हो चुका है. 7000 हजार से ज्यादा लोगों को यहां निकाला जा चुका है. हालात इतने खराब हैं कि इंसान क्या जानवर भी जान बचाकर भागने की कोशिश कर रहे हैं. एनडीआरएफ ने कई मवेशियों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है.

करहेड़ा की चार कॉलोनियों में भरा पानी
 गांव करहेड़ा की चार कॉलोनियों में हिंडन नदी का पानी भर गया है. इन कॉलोनियों में रहने वाले एक हजार से ज्यादा परिवार दहशत में आ गए हैं. शिवचरण कॉलोनी, उदम कॉलोनी, कृष्णा कॉलोनी और काष्णा कॉलोनी बिल्डर के द्वारा काटी गई हैं. बाढ़ के चलते सिटी फॉरेस्ट बीते तीन दिन से बंद पड़ा हुआ है, जो करीब 175 एकड़ में फैला हुआ है.

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लोगों तक राशन-पानी पहुंचा रही रेस्क्यू टीम
करहेड़ा इलाके में अब वही लोग बचे हैं, जो चोरी के डर से अपना घर नहीं छोड़ना चाहते हैं. उन्हें राशन पानी देने के लिए प्रशासन के लोग यहां पहुंच रहे हैं. इसी इलाके में दो बिजली के सब-स्टेशन हैं, जिसमें पानी भर गया है. इसलिए गाजियाबाद के कई इलाकों की बिजली भी गुल हो गई है.

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गाजियाबाद के एसडीएम विनय सिंह ने NDTV को बताया, "हिंडन नदी से सटे बिजली सब स्टेशन हैं, वहां पानी भर गया है. दो सब-स्टेशन में पानी भरा है. वहां पानी निकालने का काम चल रहा है. इसलिए कई इलाकों में बिजली की दिक्कत है."


 
1978 के बाद से हिंडन नदी में अब तक नहीं आई थी बाढ़

जिला प्रशासन बता चुका है कि 1978 के बाद से हिंडन नदी में कभी बाढ़ नहीं आई है. पर इस बार मामला अलग दिख रहा है. गाजियाबाद के निचले इलाकों में मौजूद 12 गांवों में पानी भर गया है. सिटी फॉरेस्‍ट हिंडन नदी के किनारे 150 एकड़ एरिया में फैला हुआ है. इसे गाजियाबाद का ग्रीन लंग कहा जाता है. यहां हर रोज सैकड़ों शहरवाले घूमने आते हैं. हिंडन नदी के पानी में यहां का 80 परसेंट इलाका डूब गया है. इसकी वजह से इसे आम लोगों के लिए बंद करना पड़ा है.

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हिंडन में उफान की क्या है वजह?
1978 के बाद पहली बार हिंडन नदी के पानी में इतना उफान आया है. इसके पीछे कई कारण हैं. कई सालों में हिंडन नदी के के डूब क्षेत्र में 6 हजार से ज्यादा अवैध निर्माण बन गए. हिंडन नदी से गुजरते मेट्रो, फ्लाईओवर और रैपिड रेल बनने के दौरान कच्चे रास्ते बनाए गए थे. जिसका लाखों टन मलबा यहीं पड़ा रह गया. आनन-फानन में नदी की सफाई के लिए मजदूर उतारे गए. लेकिन तब तक नदी सैलाब बनकर कई रिहायशी इलाकों को निगल चुकी है.

हिंडन जल बिरादरी के संयोजक विक्रांत शर्मा कहते हैं, "बीते 10 सालों में हिंडन नदी पर कई बड़े प्रोजेक्ट बने. मसलन मेट्रो का पुल, रैपिड ट्रेन का पुल, प्लाटून पुल और ओवर ब्रिज. इनको बनाने के लिए हिंडन को संकरा करके अप्रोच रास्ते बनाए गए. जिससे नदी का फ्लो रुका. नतीजतन पानी रिहायशी इलाकों में पहुंच गया."

बाढ़ की चपेट में हैं नोएडा के ये इलाके 
हिंडन बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद नोएडा, गाजियाबाद में नदी के किनारे बसे इलाकों में पानी भर गया. नोएडा के हैबतपुर, चोटपुर, बहलोलपुर,छिजारसी, चकशाहबेरी सबसे ज्यादा प्रभावित है. ग्रेटर नोएडा के 6 गांव हिंडन की बाढ़ की चपेट में हैं. अभी तक 800 से 1000 लोगों को राहत केंद्रों में शिफ्ट किया जा चुका है.  

हिंडन के पानी से हुई तबाही के निशान दूर-दूर तक दिख रहे हैं. जिस नदी को लोगों ने मृत मानकर उसके किनारों पर मकान बना लिए थे, उसमें पानी का होना लोगों के उजड़ने का अब सबब बन रहा है.

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