उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में मुस्मिल बुजुर्ग को पीटने व उसकी दाढ़ी काटने (Ghaziabad Muslim Beaten) का वीडियो वायरल होने के बाद से पुलिस की नींद उड़ी हुई है. मामले में पुलिस ने ट्विटर (Twitter), कई पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं समेत कई आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया है. सभी पर "सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने" का आरोप है. ताजा घटनाक्रम में पुलिस ने दो और आरोपयों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने इंतजार और उसके साले सद्दाम को गिरफ्तार किया है.
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पुलिस के मुताबिक सद्दाम 5 जून को बुजुर्ग अब्दुल समद को अपनी स्कूटी से आरोपी प्रवेश गुर्जर के बंथला स्तिथ घर ले गया था. जहां अब्दुल समद के साथ बदसलूकी की गई थी. पूछताछ में सद्दाम ने बताया कि अब्दुल को प्रवेश के घर ले जाने के लिए उसके जीजा इंतजार ने बोला था. दरअसल सद्दाम के नवजात बेटे की तबियत खराब थी. इंतजार के कहने पर सद्दाम ने अब्दुल समद से बात कर उसे 5 जून को अपने घर बुलाया था ताकि बेटे को दिखा सके. अब्दुल समद को सद्दाम लोनी से अपने घर ले गया. जहां समद ने सद्दाम के बेटे के लिए ताबीज तैयार की. सद्दाम के मुताबिक उसके जीजा इंतजार ने फोन कर कहा कि अब्दुल को प्रवेश गुर्जर के घर ले जाओ.
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पुलिस के अनुसार, ताबीज बेचने को लेकर अब्दुल समद की कुछ लोगों ने पिटाई की थी. उसकी छह लोगों ने पिटाई की, जिसमें हिन्दू और मुस्लिम दोनों हमलावर हैं. पुलिस का कहना है कि पीड़ित सभी हमलावरों को जानता था. पत्रकार राणा अयूब, सबा नकवी, कांग्रेस नेता सलमान निजामी, शमा मोहम्मद और मसकूर उस्मानी समेत अन्य पर भ्रामक पोस्ट करने के आरोप में केस दर्ज हुआ है. एफआईआर में कहा गया है कि उनके ट्वीट को हजारों लोगों ने रीट्वीट किया. ट्विटर पर भी इस पोस्ट को लेकर कोई कार्रवाई न करने का आरोप है.
वहीं, समद के बेटे बब्लू सैफी ने कहा, पुलिस गलत कह रही है कि उनके वालिद ताबीज बेचने का काम करते हैं. हमारे परिवार में कोई भी ये काम नहीं करता है, हम पेशे से बढ़ई है. पुलिस सही बात नहीं बता रही है, उन्हें इस मामले की जांच कर सच्चाई सामने लानी चाहिए.
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एफआईआर के बाद पत्रकार राणा अयूब ने बुधवार दोपहर ट्वीट किया कि मैं सच्चाई का जल्द से जल्द बाहर आने का इंतजार करूंगी. वहीं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई सिलसिलेवार ट्वीट में कहा कि यूपी में जो कुछ हुआ, वो फेक न्यूज के खिलाफ लड़ाई में ट्विटर के मनमाने रुख को दर्शाता है. ट्विटर अपनी फैक्ट चेकिंग सिस्टम को लेकर बेहद जोश में रहा है, लेकिन इस मामले में वो भ्रामक जानकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में असफल रहा.