बीजेपी की नगालैंड इकाई के अध्यक्ष तेमजेन इम्ला एलोंग ने कहा कि मोन जिले में हुई फायरिंग की घटना, शांतिकाल में युद्ध अपराध के बराबर है. यह नरसंहार और मृत्युदंड देने जैसा है. एलोंग नगालैंड बीजेपी सरकार में मंत्री भी हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से मृतकों के परिवारों के लिए तुरंत ही मुआवजा देने की मांग की है. साथ ही पीड़ित परिवारों को अन्य तरह की सहायता देने की गुहार लगाई है. आतंकवाद विरोधी अभियान को लेकर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी है. एलोंग ने कहा कि वो इस घटना से बेहद व्यथित हैं और उनका दिल बुरी तरह टूट गया है. उन्होंने एक सार्वजनिक पत्र में हस्ताक्षर किया है. इसमें लिखा है, इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सिर्फ इसे खुफिया विफलता बताकर पल्ला झाड़ लेना सबसे लाचारी भरा बयान है. उन्होंने कहा कि ऐसे समय अत्यधिक सावधानी और संयम बरतना चाहिए था, जब भारत सरकार और नगा राजनीतिक समूहों के बीच शांति वार्ता चल रही हो. यह नगा मुद्दे के राजनीतिक समाधान के लिए बेहद महत्वपूर्ण था.
उन्होंने कहा, "ये निर्दोष पीड़ित मजदूर थे और दिन भर की कठिन मेहनत के बाद लौट रहे थे. उनके पास किसी तरह का कोई हथियार नहीं था. लिहाजा यह शांतिकाल में युद्ध अपराध जैसा ही है. यह मृत्युदंड देने और नरसंहार की तरह है."
उन्होंने कहा, "यह घृणित अपराध है. उन्होंने मांग की है कि इस घटना के जिम्मेदार असम रायफल्स के जवानों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाए और पीड़ितों को इंसाफ दिया जाए. यह सच्चाई सामने आनी चाहिए कि कैसे उन्हें निहत्थे लोगों को गोलियों से भून डाला. असम रायफल्स के जवानों ने यह पहचान करने की कोशिश नहीं कि ट्रक में सवार लोग निहत्थे हैं. किस आधार पर कमांडिंग अफसर ने उन पर फायरिंग करने का आदेश दिया." असम रायफल्स ने एक आधिकारिक बयान जारी किया और इसमें इस घटना पर खेद जताया है. उसने यह भी कहा है कि हिंसक भीड़ ने उनके कैंप पर धावा बोला. इसमें कहा गया है, असम रायफल्स की एक पोस्ट पर 300 से ज्यादा लोगों की आक्रोशित भीड़ ने हमला बोला. लेकिन असम रायफल्स के जवानों ने अत्यधिक संयम बरती और हवा में गोलियां चलाकर भीड़ को तितर बितर करने की कोशिश की.
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