16 साल की उम्र में पहली बार तोड़ी सीमा, मुंबई ने मुझे बड़ा सोचना सिखाया: टीचर्स डे पर गौतम अदाणी ने बताई कामयाबी की कहानी

शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने मुंबई स्थित जय हिंद कॉलेज के एक इवेंट में स्पीच दी. इस दौरान अदाणी ने अपनी जिंदगी के अनुभव और संघर्ष शेयर किए.

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मुंबई:

शिक्षक दिवस (Teacher's Day 2024) के मौके पर 5 सितंबर को अदाणी ग्रुप (Adani Group) के चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने मुंबई स्थित जय हिंद कॉलेज के एक इवेंट में स्पीच दी. इस इवेंट की थीम "Breaking Boundaries: The Power of Passion and Unconventional Paths to Success" रखी गई. गौतम अदाणी ने कहा, "आगे वही बढ़ते हैं, जो सीमाएं तोड़ते हैं. मैंने 16 साल की उम्र में पहली बार सीमा यानी बाउंड्री तोड़ी थी. अहमदाबाद में पढ़ाई छोड़कर मैं मुंबई आ गया. लोग आज भी मुझे पूछते हैं कि मैंने अहमदाबाद क्यों छोड़ा और मुंबई क्यों आ गया? मुंबई सिर्फ शहर ही नहीं है. ये मेरा कारोबार का ट्रेनिंग सेंटर भी है. मुंबई में मैंने बड़ी सोच रखना सीखा." 

अदाणी ने कहा, "मैंने 19 साल में बड़े भाई के साथ बिजनेस करना शुरू किया. तभी मुझे भारत में कारोबार की चुनौती समझ में आ गई. 1981 से 1991 के दौरान मुझे ये साफ-साफ समझ में आ गया था कि लाइसेंसिंग सिस्टम में ढील देने की जरूरत है. 2014 में पीएम मोदी के सत्ता में आने के बाद से कई सुधार हुए हैं. ये साल भारत के विकास में मील का पत्थर रहे. मुझे यह अहसास हुआ कि ये बदलते भारत की बुनियाद है. केंद्र में मोदी सरकार के आने के 2 साल के अंदर हम देश के सबसे बड़े ट्रेंडिंग संस्थान थे." 

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जितनी बड़ी सीमा तोड़ेंगे, उतनी कम प्रतियोगिता होगी
गौतम अदाणी कहते हैं, "आप जो सपना देखते हैं, उसी को साकार करते हैं. जितनी बड़ी सीमा आप तोड़ते हैं, प्रतियोगिता उतनी ही कम होती है. वर्तमान परिस्थितियों की आलोचना करना आसान है, लेकिन इसे सुधारना उतना ही मुश्किल. लेकिन जो इन मुश्किलों को पार कर जाता है. कामयाबी उसी को मिलती है."

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अदाणी ने कहा, "हर किसी के लिए कामयाबी के नुस्खे अलग-अलग होते हैं. मेरे लिए कामयाबी के नुस्खे एक ही हैं- जुनून और अलग राह पर चलने की ताकत ही मेरी कामयाबी का नुस्खा है."

हमने सबसे बुरे समय में सबसे शानदार काम किया
हिंडनबर्ग रिसर्च पर गौतम अदाणी ने कहा, "वित्तीय हमले के बाद हमने अपना जज्बा दिखाया. ये महज वित्तीय हमला नहीं था. बल्कि दोतरफा वार था. इसका मकसद हमें अधिकतम नुकसान पहुंचाना था. लेकिन हमने इसी खराब दौर में सबसे अच्छा कारोबार किया. इस हमले के बीच हमारे रिकॉर्ड हमारी क्षमता के इंडिकेटर साबित हुए."

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अदाणी कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट ने हमारे कदमों को सही ठहराया. मजबूती वास्तव में असंभव की तरफ बढ़ने का नाम है. हमें 100 फीसदी साक्षरता और जीरो गरीबी को हासिल करना है. एक राष्ट्र के रूप में हम इन लक्ष्यों को पूरा करने के काफी करीब पहुंच गए हैं."

धारावी इंसानों की गरिमा की बात
मुंबई के पास स्थित एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्ती धारावी को अदाणी ग्रुप रिडेवलप कर रहा है. इसका जिक्र करते हुए अदाणी ने कहा, "धारावी इंसानों की गरिमा की बात है. हमारे बिजनेस की ताकत उसका इंटिग्रेटेड मॉडल है."

भारत के हाथ में है भविष्य के डिजिटल का नेतृत्व 
पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया की सराहना करते हुए अदाणी कहते हैं, "दुनिया को हमारे डिजिटल स्ट्रक्चर से जलन हो सकती है. क्योंकि भविष्य डिजिटल का है और इसका नेतृत्व भारत के हाथ में है."

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