गणतंत्र के स्पेशल 26: स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर 'रुद्र' से डरती है दुनिया, भारतीय वायुसेना की है ताकत

इस अटैक हेलीकॉप्टर का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बैंगलोर ने किया है. उसने अपने पहले से निर्मित ALH MK-lll के स्वरूप को बदल कर रुद्र को बनाया है.

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नई दिल्ली:

गणतंत्र के स्पेशल 26 (Gantantra ke Special 26) में आज हम आपको स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर 'रुद्र' के बारे में बताएंगे. इस साल 26 जनवरी की परेड में वायुसेना का मार्क और रुद्र भी दिखेगा. रुद्र यानी एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर मार्क 4, भारतीय वायु सेवा और थल सेना दोनों के काम आता है. ये देश में निर्मित एक स्वदेशी अटैक हेलीकॉप्टर है. ऐसे हेलीकॉप्टर की आवश्यकता कारगिल युद्ध के बाद महसूस की गई. इसके पहले हमारी सेना के पास जो रूस के बने अटैक हेलीकॉप्टर थे, वो पहाड़ों की ऊंचाइयों पर नहीं उड़ पाते थे.

वायुसेना के लिए ये हेलीकॉप्टर क्यों खास

इस अटैक हेलीकॉप्टर का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, बैंगलोर ने किया है. उसने अपने पहले से निर्मित ALH MK-lll के स्वरूप को बदल कर रुद्र को बनाया. इस हेलीकॉप्टर में मिसाइल, गन और रॉकेट लगे है. इसका इस्तेमाल बहुत ज़्यादा ऊंचाई पर भी किया जा सकता है. इस हेलीकॉप्टर को दो पायलट उड़ाते है, इसमें दो इंजन हैं.

इन खूबियों से है लैस

  • 52 मीटर लंबे इस हेलीकॉप्टर की ऊंचाई 16.4 है. इसकी अधिकतम गति 291 किलोमीटर प्रति घंटा है. इसका अधिकतम टेक ऑफ वजन 5800 किलोग्राम है और रेंज तकरीबन 600 किलोमीटर है. 
  • यह 20 हजार फुट की ऊंचाई पर उड़ सकता हैं. इसमें शक्तिशाली 'शक्ति' इंजन लगे हैं. इस हेलीकॉप्टर में 70 मिली मीटर के रॉकेट और 20 मिलीमीटर के बुर्ज गन लगे हैं. साथ ही हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल से भी यह लैस है.
  • एन्टी टैंक गाइडेड मिसाइल किसी टैंक को बरबाद करने में पूरी तरह से सक्षम हैं. इसका फ्यूल टैंक ऐसा है कि गोली लगने के बाद यह फटेगा नहीं. गोली लगते ही सील हो जाएगा जिससे किसी तरह का आग का हादसा नहीं होगा.
  • इसमें ग्लास कॉकपिट के साथ-साथ आधुनिक नेविगेशन सिस्टम लगे हैं, जो इन्हें किसी भी मौसम में ऑपरेट करने में सक्षम बनाते हैं. 
  • इस हेलीकॉप्टर का 'rigid rotor system' इसकी गतिशीलता की क्षमता को काफी बढ़ाता है. हेलीकॉप्टर में आत्मरक्षा के लिये 'इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट' भी लगे हैं.

थल सेना भी करती है इस्तेमाल

थल सेना इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से 'क्लोज एयर सपोर्ट', 'एंटी टैंक अप्स' और ऊंचे पहाड़ी क्षेत्र वाले ऑपेरशन में करती हैं. वैसे सही मायने में यह मल्टीरोल हेलीकॉप्टर है. इसके दूसरे वेरियंट का इस्तेमाल पैसेंजर और समान को लाने के लिए किया जाता है.  सेना के तीनों अंग के अलावा पैरामिलिट्री फोर्सेज भी इसका बखूबी इस्तेमाल कम्युनिकेशन और लॉजिस्टिक्स सपोर्ट रोल में करती है.

जाहिर है भरोसा बना हुआ है तभी इस ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर को अब अटैक हेलीकॉप्टर में बदल दिया गया है. इसी अटैक हेलिकॉप्टर के बाद HAL ने अब एक कंप्लीट अटैक हेलीकॉप्टर 'एलसीएच' हेलिकॉप्टर बनाया है. जिसे हम 'प्रचंड' के नाम से अब जानते हैं.

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