- गणेश चतुर्थी के 11 दिनों तक चलने वाले उत्सव के अंत में भगवान गणेश की विसर्जन प्रक्रिया सम्पन्न हुई.
- मुंबई, सूरत और हैदराबाद जैसे प्रमुख शहरों में भव्य शोभायात्राओं के माध्यम से भक्तों ने गणपति की विदाई की.
- बारिश के बावजूद भक्तों ने ढोल-ताशे बजाकर, गुलाल उड़ाकर गणपति की मूर्तियों का उत्साहपूर्वक विसर्जन किया.
Ganpati Visarjan Photo : 11 दिनों तक घरों और पंडालों में विराजमान रहने के बाद आज देशभर में भगवान गणेश की विदाई हो गई है. गणेश चतुर्थी के त्योहार की समाप्ति के साथ, भक्तों ने नम आंखों और भारी मन से अपने प्रिय बप्पा को विदा किया. 'गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ' के जयकारों के साथ, पूरे देश में उत्सव और भक्ति का माहौल देखा गया.
गणेश चतुर्थी का त्योहार, जिसे खासकर महाराष्ट्र में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है, इस साल भी जोश और उत्साह से भरा रहा. मुंबई, सूरत और हैदराबाद जैसे शहरों में विसर्जन की भव्य शोभायात्राएं निकाली गईं. इन शोभायात्राओं में हजारों की संख्या में भक्त शामिल हुए, जो नाचते-गाते और रंग-गुलाल उड़ाते हुए बप्पा को विदा कर रहे थे.
मुंबई में शनिवार को 10 दिवसीय गणपति उत्सव के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी पर बारिश के बावजूद लोग भगवान गणेश की मूर्तियों के विसर्जन के लिए ढोल-ताशे बजाते और गुलाल उड़ाते हुए सड़कों पर उमड़ पड़े.
तेलंगाना के हैदराबाद सहित पूरे राज्य में 11 दिनों तक चलने वाले विनायक चतुर्थी उत्सव के समापन के उपलक्ष्य में शनिवार को भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया गया.
भगवान गणेश की मूर्तियों का विसर्जन यहां की प्रसिद्ध हुसैन सागर झील और अन्य जलाशयों में किया गया. खैरताबाद के प्रसिद्ध पंडाल में स्थापित 69 फुट ऊंची भगवान गणेश की मूर्ति के विसर्जन की यात्रा शनिवार सुबह शुरू हुई.
लालबाग की सड़कों और अन्य प्रमुख यात्रा मार्गों पर प्रिय देवता को विदाई देने के लिए हजारों लोग संगीत- नृत्य करके, गुलाल उड़ाकर, ढोल-ताशे बजाते हुए उमड़ पड़े.
लालबागचा राजा, चिंचपोक्लिचा चिंतामणि, बाल गणेश मंडल के बल्लालेश्वर, गणेश गली के मुंबईचा राजा, कालाचौकी के महागणपति, रंगारी बडक चॉल गणपति और तेजुकाया गणपति समेत लालबाग के प्रसिद्ध गणपतियों के जुलूस साथ विसर्जन.
मुंबई में, जहां गणेश उत्सव का सबसे बड़ा रूप देखने को मिलता है, गिरगांव चौपाटी और जुहू बीच जैसे स्थानों पर विसर्जन के लिए लाखों की भीड़ उमड़ी. बड़े-बड़े पंडालों के साथ-साथ घरों में स्थापित छोटी प्रतिमाओं का भी विसर्जन किया गया.
सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे और बीएमसी ने विसर्जन के लिए कृत्रिम तालाबों की भी व्यवस्था की थी, ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे. भक्तों ने डीजे की धुनों पर नाचते हुए और पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ बप्पा को विदाई दी. इस दौरान, हर चेहरे पर खुशी और उदासी का मिला-जुला भाव था, क्योंकि वे बप्पा के अगले साल फिर से आने की उम्मीद कर रहे थे.
सूरत में भी गणेश विसर्जन का नजारा बेहद मनमोहक था. तापी नदी के किनारों पर भक्तों की भारी भीड़ जमा हुई. यहां भी, बड़े और छोटे गणपति को फूलों और रोशनी से सजी गाड़ियों में रखकर विसर्जन के लिए लाया गया.
भक्तों ने भक्ति गीत गाए और हवा में 'गणपति बप्पा मोरया' का उद्घोष गूंज रहा था. इसी तरह, हैदराबाद में हुसैन सागर झील पर विसर्जन का आयोजन किया गया, जहां कई प्रसिद्ध पंडालों के गणपति का विसर्जन किया गया.
गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह एक गहरी आस्था और उम्मीद का प्रतीक है. यह इस बात को दर्शाता है कि सुख और दुख दोनों जीवन का हिस्सा हैं, और जिस तरह बप्पा वापस लौटते हैं, उसी तरह जीवन में भी खुशियां और अच्छे दिन फिर से आते हैं.
भक्तों का विश्वास है कि भगवान गणेश अपने साथ सभी दुखों और परेशानियों को ले जाते हैं और अगले साल खुशियां और समृद्धि लेकर लौटेंगे. विदाई के इस भावुक पल ने सभी को यह उम्मीद दी कि बप्पा हमेशा उनके साथ हैं और उनके जीवन में खुशियों का नया अध्याय शुरू होगा. यह उत्सव एकता, प्रेम और विश्वास की भावना को मजबूत करता है.