मुंबई में एक विशेष सीबीआई अदालत ने जेल में बंद गैंगस्टर छोटा राजन के खिलाफ 1997 में एक पत्रकार की हत्या के प्रयास को लेकर दर्ज मामले को बंद करने के लिए जांच एजेंसी की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया. विशेष न्यायाधीश ए टी वानखेड़े ने राजन के खिलाफ मामले को आगे बढ़ाने के लिये पर्याप्त सामग्री के अभाव के चलते उसे सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. अदालत ने शनिवार को यह फैसला सुनाया.
गौरतलब है कि 12 जून 1997 को मुंबई में रहने वाले क्राइम रिपोर्टर बलजीत शेरसिंह परमार यहां एंटॉप हिल इलाके में एक इमारत के बाहर मोटरसाइकिल सवार बदमाशों द्वारा किये गए हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. आरोप है कि बदमाश छोटा राजन के गैंग से जुड़े थे. शुरू में शहर की पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था. बाद में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले की जांच अपने हाथ में ले ली थी.
सीबीआई ने हाल ही में इस आधार पर इस मामले को बंद करने रिपोर्ट दाखिल की थी कि जांच के दौरान आरोपी के खिलाफ कोई अतिरिक्त सबूत नहीं मिला. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ''मौजूद सामग्री पर गौर करने पर, उसके (राजन) खिलाफ प्राथमिकी में केवल एक ही संदर्भ मिला है कि दलबीर सिंह नामक व्यक्ति को राजन की ओर से धमकी मिली थी. इसके अलावा, इस अपराध से आरोपी के जुड़े होने वाली कोई सामग्री नहीं है."
अदालत ने कहा कि सीबीआई ने बलजीत शेरसिंह परमार से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन दिये गए पते पर वह नहीं मिले. इसके बाद सीबीआई ने मामले को बंद करने का अनुरोध करते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की. राजन विभिन्न आपराधिक मामलों के सिलसिले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. अक्टूबर 2015 में इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित किये जाने के बाद से ही वह जेल में कैद है. राजन महाराष्ट्र में लगभग 70 मामले में आरोपी है, जिसमें साल 2011 में पत्रकार जे डे की हत्या का मामला भी शामिल है.