बिहार के गोपालगंज में गंडक नदी के जल स्तर में वृद्धि होने के कारण जिले के निचले हिस्से में बसे 32 गांवों में बाढ़ के पानी ने तबाही मचा दी है. इन गांवों के सभी घरों में बाढ़ का पानी भर गया है और इस वजह से स्थानीय लोगों की परेशानी बढ़ गई है. बाढ़ पीड़ितों में से अधिकांश लोग ऊंचे स्थानों पर शरण ले रहे हैं. वहीं कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपना घर छोड़ना नहीं चाहते हैं और बांस के मचान तैयार कर अपने लिए शरण स्थल बना रहे हैं.
रजवाही गांव में सभी झोपड़ियां बाढ़ के पानी से भर गई हैं. स्कूल के परिसर में और किसानों के भवन में भी बाढ़ का पानी भर गया है. इतना ही नहीं गांव की सभी सड़कें भी पानी में डूब गई हैं. गांव के बाहर आने जाने के लिए अब लोगों को नांव का सहारा लेना पड़ रहा है. इस वजह से कई लोगों को घंटों नांव के आने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है. जहां तक लोगों की नजर जा रही है वहां तक सिर्फ पानी ही दिख रहा है. यहां मुख्य रुप से गन्ने की फसल है जो पानी में डूबे होने के कारण बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गई है.
गोपालगंज के रजवाही गांव की रहने वाली ज्ञानकी देवी ने आपबीती बताते हुए कहा, गंडक नदी में आई बाढ़ ने घर में पानी को मौजूद कर दिया है. पीने के लिए जान को जोखिम में डालकर बाढ़ के पानी को पार कर लाना पड़ता है. हमने ऊंचे स्थान पर शरण ली हुई है. हम यहां कभी लिट्टी बनाते हैं या कभी चूड़ा खाकर अपना गुजारा कर रहे हैं.
वहीं गांव की निवासी श्रद्धा देवी ने कहा, घर में बाढ़ का पानी आ गया है. अनाज भी पानी में भीग गया है. हम यहां मचान बनाकर या फिर चारपाई रखकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. खाना हम मिट्टी के चूल्हे पर बना रहे हैं.