जी20 को लेकर भारत के लिए जताई गई तमाम आशंकाएं और अविश्वास न सिर्फ़ गलत साबित हो गए हैं, बल्कि ऐसा कहने वालों को करारा जवाब भी मिला है और अब वे 'खिसियानी बिल्ली, खम्भा नोचे' वाली हालत में पहुंच गए हैं. क्या 'न्यूयॉर्क टाइम्स', क्या 'रॉयटर', क्या 'द गार्डियन' और क्या हमारे खुद के शशि थरूर जैसे नेता - सबने लगभग ऐलान कर दिया था कि जी20 सिर्फ़ हव्वा साबित होगा, लेकिन भारत मण्डपम से इन तमाम निराशावादियों की हवा निकालते हुए जब सभी देशों ने जी20 घोषणापत्र (G20 Delhi Declaration) के ज़रिये तमाम भूराजनैतिक और मानव विकास के मुद्दों पर 100 फ़ीसदी आम सहमति दी, तो भारत ने न सिर्फ़ इतिहास रच डाला, बल्कि दुनिया के लिए संयुक्त सुनहरा भविष्य भी बुन दिया.
भारत ने अपनी बात पर खरा उतरकर दिखाया. 16 नवंबर, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के समापन के दौरान हैंडओवर कार्यक्रम में बताया था कि भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए उनका मंत्र या दृष्टिकोण क्या है, और क्या होगा - समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुखी - ये चार शब्द थे. आज, 10 महीने बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत ने साबित कर दिखाया कि दुनिया के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण समय में भी भारतीय वह हासिल कर सकते हैं, जो उन्होंने तय किया है.
बहुतों ने नई दिल्ली घोषणापत्र को नामुमकिन करार दिया था...
जी20 का नई दिल्ली घोषणापत्र, जिसे कई लोगों ने खारिज किया था, कई ने बहुत मुश्किल कहा था, कुछ ने शायद असंभव कहा, और कुछ ने कहा कि हासिल करना मुमकिन नहीं. सवाल उठाए गए थे कि भारत, एक महत्वाकांक्षी उभरता हुआ देश, वह सब कैसे हासिल कर सकता है, जो दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाएं अब तक नहीं कर सकीं...?
बताया गया कि 200 घंटों तक चली लंबी बातचीत और समझाइश के बाद भारत तमाम देशों के साथ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक्शन के लिए आम राय बनाने में तो कामयाब रहा ही, चीन की कुटिल चालों को भी भारत ने नाकाम कर दिया. यह अपने आप में चौंकाने वाला है कि डिक्लरेशन के तमाम 83 पैराग्राफ बिना किसी असहमति, फुटनोट, समरी के ज्यों के त्यों स्वीकार कर लिए गए. यूक्रेन युद्ध पर UN चैप्टर के तहत एक दूसरे की संप्रभुता, सीमाओं और राजनीतिक स्वतंत्रता के सम्मान और परमाणु हथियारों को अस्वीकार्य बताकर रूस और चीन को सख्त संदेश दिया गया, तो भारतीय डिजिटल इन्फ़्रास्ट्रक्चर को अडॉप्ट कर फ़ाइनेंशियल इन्क्लूज़न की राह पर भी चलने का वादा किया गया. इसके साथ-साथ क्रिप्टोकरेंसी जैसे वैश्विक मुद्दे पर व्यापक फ्रेमवर्क बनाने के लिए भी आम राय बन गई.
100 फ़ीसदी आम सहमति हासिल की गई
सवाल किया गया था कि भारत युद्ध के इस काल में चीन, रूस, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ - सभी को एक साथ कैसे ला सकता है... लेकिन, भारत ने कर दिखाया. घोषणापत्र पूरी सहमति के साथ स्वीकार किया गया, जिसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100% आम सहमति हासिल की गई. जी20 नेताओं द्वारा अपनाई गई सर्वसम्मत घोषणा में यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति का आह्वान किया गया और सदस्य देशों से इलाकों पर कब्ज़े या किसी भी देश की भौगोलिक अखंडता के ख़िलाफ़ काम करने के लिए ताकत के इस्तेमाल से बचने का आग्रह किया गया.
भारत की बड़ी उपलब्धि है घोषणापत्र : कंवल सिब्बल
गौरतलब है कि यूक्रेन संकट को लेकर रूस बाली समिट में इस्तेमाल की गई भाषा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था, और पश्चिमी देश पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थे. इसी वजह से माना जा रहा था कि भारत में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन के घोषणापत्र पर आम सहमति बन पाना मुमकिन नहीं होगा. पूर्व राजनयिक तथा पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल का कहना है कि यह भारत की बड़ी उपलब्धि है, और उन्हें खुद भी इस घोषणापत्र की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि रूस-चीन तथा पश्चिमी देशों के बीच गहरे मतभेद हैं.
यह भारत की जीत है : जोनाथन वॉकटेल
संयुक्त राष्ट्र में पूर्व अमेरिकी प्रतिनिधि जोनाथन वॉकटेल ने कहा आज की दुनिया में यूक्रेन के मुद्दे पर साफ़-साफ़ बात नहीं किया जाना अनुचित हो सकता है, लकिन इस समय यह भारत की जीत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बेहद जटिल मुद्दे पर सहमति बनाने में कामयाब रहे.
इसके अलावा, PM नरेंद्र मोदी ने अफ़्रीकी यूनियन को पिछले साल बाली समिट में जी20 में शामिल करने की जो गारंटी दी थी, उसे भी भारत ने आज पूरा कर दिया. यानी जब जी20 नेता समिट के बाद भारत से विदा होंगे, तो खाली हाथ नहीं लौटेंगे, बल्कि अपने साथ वादों और उद्देश्यों का पिटारा लेकर जाएंगे, जो उन्हें 'वन अर्थ, वन फ़ैमिली, वन फ़्यूचर' के लिए आने वाले दिनों में पूरे करने हैं, और उसी से तय होगी मानवता की जीत.
मील का पत्थर साबित हुई भारत की जी20 अध्यक्षता
भारत की जी20 अध्यक्षता मील का पत्थर साबित हुई है. इसी दौरान हमारा देश चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बना - चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला तो पहला मुल्क बना है. सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में भारत ने चीन को पीछे छोड़ दिया है, और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन को पीछे छोड़ा है. और अब, वास्तव में बड़ी कूटनीतिक सफलता हासिल की है. एक युवा लोकतंत्र ने उपलब्धियों और संभावित उपलब्धियों पर शक करने वालों और संदेह जताने वालों को कतई चुप करवा दिया है, और भारत की कोशिशों को नकारने वालों को हैरान कर डाला है.