कोविड-19 की वजह से राज्यों में लगे लॉकडाउन में ढील के साथ भारत में जून महीने में ईंधन की मांग में उछाल दर्ज किया गया जिससे पेट्रोल की बिक्री महामारी से पहले के स्तर के करीब आ कर 90 प्रतिशत पर पहुंच गई. सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों के आंकड़े के मुताबिक पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर जून में 5.5 प्रतिशत बढ़कर 21.2 लाख टन पर पहुंच गई. जून 2021 में पेट्रोल की बिक्री इस वर्ष के मई महीने मुकाबले 29.35 प्रतिशत अधिक रही लेकिन जून, 2019 की तुलना में 10.4 फीसदी कम है.
देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाने वाले ईंधन डीजल की खपत मई के 53.5 लाख टन के मुकाबले 18.5 प्रतिशत बढ़ गई. लेकिन यह जून, 2020 की चलने में 1.84 प्रतिशत और जून, 2019 से 18.8 प्रतिशत कम है. मार्च के बाद पहली बार किसी महीने में ईंधन की मांग में वृद्धि हुई है.
डीजल महंगा होने से फल-सब्जी की कीमतों पर असर, कुछ दिनों में और बढ़ सकती है महंगाई
इस साल मई में सबसे कम रही खपत
कोविड-19 की दूसरी लहर के शुरू होने से पहले इस साल मार्च में ईंधन की मांग सामान्य स्तर के आसपास पहुंच गयी थी, लेकिन महामारी का प्रकोप बढ़ने के साथ अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन लगने की वजह से वाहनों की आवाजाही कम हो गयी और साथ ही आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ा जिससे ईंधन की मांग कम हो गयी. मई में ईंधन की खपत अगस्त 2020 के बाद से सबसे कम थी.
महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन में ढील दी जा रही है जिससे ईंधन की मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है. कोविड मामलों में कमी और टीकाकरण अभियान में तेजी के साथ राज्यों सरकारें लगातार प्रतिबंधों में ढील दे रही हैं. हालांकि महाराष्ट्र में अभी भी कई प्रतिबंध जारी हैं.
पेट्रोल के दाम में दिल्ली से आगे बिहार, महंगाई की भारी मार; पेट्रोल-डीजल 100 के पार
निवेश बैंकिंग कंपनी जेफ़्रिज ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘कई राज्य सरकारों द्वारा गतिविधियों को खोल दिया गया जिससे स्थिति वापस सामान्य की तरफ बढ़ रही है. विशेष कर उत्तर भारतीय राज्यों में. हालांकि कोविड के नए प्रकारों और तीसरी लहर तथा कोरोना दिशा निर्देशों के सही से अनुपालन नहीं होने की वजह से खतरा बना हुआ है.'
वहीं तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को कहा था कि देश में ईंधन मांग, कोरोनोवायरस संक्रमण की एक घातक दूसरी लहर से सुस्त पड़ने के बाद 2021 के अंत तक ठीक हो जाएगी.