पाकिस्तान को 'बेनकाब'करने से लेकर 'ड्रैगन' की नई चाल तक...भारत की रणनीति के आगे जब पस्त दिखे चीन और PAK 

भारत ने अलग-अलग मंचों पर चीन की विस्तारवादी नीतियों का इशारों-इशारों में विरोध किया था. साथ ही आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को भी दो टूक कही थी.

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भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच से चीन और पाकिस्तान को सुना दी थी खरी-खरी
नई दिल्ली:

ये बदला हुआ भारत है. जो अब सीधे घर में 'घुसकर' जवाब देने में भरोसा रखता है. विदेश मंत्री डॉ.एस जयशंकर ने बुधवार को एक बार फिर ऐसा करते दिखे, जब उन्होंने पाकिस्तान की धरती से ही पाकिस्तान और चीन को खरी-खरी सुना दी.चाहे बात आतंकवाद को समर्थन करने की हो या फिर विस्तारवादी नीति की,भारत ने इन दोनों देशों को साफ शब्दों में ये कह दिया कि इसे किसी भी तरीके से स्वीकार नहीं किया जाएगा.आपको बता दें कि बीते डेढ़ महीने में यह कोई पहला मौका नहीं है जब भारत ने किसी वैश्विक मंच से अपने विरोधियों को सीधा जवाब दिया है. इससे पहले भारत क्वाड और आसियान की बैठक में ऐसा कर चुका है. अब एक बार फिर उसने SCO की बैठक में अपनी बातों को बेबाकी के साथ रखा. मोदी सरकार चीन और पाकिस्तान पर ट्रिपल अटैक कर चुकी है. अब इस अटैक से चीन और पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने बेनकाब होना तय मानिए.चलिए आपको बताते हैं कि भारत ने कैसे बीते कुछ महीनों में इन दोनों देशों की घेराबंदी की है...

क्वाड में जब पीएम मोदी ने की थी चीन की घेराबंदी

पीएम मोदी पिछले महीने अपने अमेरिकी दौरे के दौरान क्वाड शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे. उनका ये दौरा भारत के लिए कई मायनों में खास साबित हुआ था. इस दौरे पर जहां पीएम मोदी ने कई अहम डिफेंस डील को पूरा किया था वहीं इशारों-इशारों में चीन को सीधा संदेश भी दिया था. इस सम्मेलन के दौरान भारत ने चीन की हर तरफ से घेराबंदी कर ली है.यही वजह रही कि इस सम्मेलन के दौरान सभी नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में जबरदस्ती खौफ पैदा करने वाली गतिविधियों को लेकर भी अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की.इस सम्मेलन में सभी देशों ने एक सुर में कहा था कि हम अन्य देशों की अपतटीय संसाधन दोहन गतिविधियों को बाधित करने के प्रयासों का विरोध करते हैं.हमें लगता है कि समुद्री विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार हल किया जाना चाहिए. 

इस समिट में भारत ने खुदको स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़े प्लेयर के तौर पर स्थापित किया था.'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' विजन की भावना पर बल देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'क्वाड कैंसर मूनशॉट' पहल के लिए 7.5 मिलियन डॉलर के सैंपलिंग किट्स, डिटेक्शन किट्स और वैक्सीन्स में सहयोग करने की घोषणा की.क्वाड कैंसर मूनशॉट का जब जिक्र हुआ तो उस दौरान पीएम मोदी ने भारत का पक्ष मजबूती के साथ रखा.और ये बता दिया कि भारत इस क्षेत्र में अग्रीम भूमिका निभाने वाले देशों में से एक है.पीएम मोदी ने कहा कि इसे लेकर अब एडवांस स्टेज में पहुंच चुके हैं. इस सम्मेलन के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कैंसर को खत्म करने पर जोर दिया. 

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आसियान में जब खुले मंच से भारत ने चीन को सुनाया

क्वाड की तरह ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण चीन सागर में चीन की विस्तारवादी नीतियों को लेकर उसे सुनाया था. हालांकि, इस सम्मेलन के दौरान भी पीएम मोदी ने सीधे तौर पर चीन का नाम नहीं लिया था, लेकिन दक्षिण चीन सागर में उसकी नीतियों की जमकर आलोचना की थी. बिना नाम लिए चीन को नसीहत देते हुए पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा था कि हम शांतिप्रिय राष्ट्र हैं,जो एक-दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं.हम अपने युवाओं का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम सबका मानना ​​है कि 21वीं सदी 'एशियाई सदी'है. आज,जब दुनिया के कई हिस्सों में संघर्ष और तनाव है,भारत और आसियान के बीच दोस्ती,समन्वय,संवाद और सहयोग बहुत ही महत्वपूर्ण है. 

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संयुक्त बयान से चीन पर दबाव बनाने की तैयारी

इस सम्मेलन के खत्म होने के बाद एक संयुक्त बयान भी जारी किया गया था. इस बयान में कहा गया था कि ये हम सबका दायित्व है कि हम क्षेत्र में शांति, स्थिरता, समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा,नेविगेशन की स्वतंत्रता और समुद्र के अन्य वैध उपयोग को बनाए रखने और बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रीत करें.इस संबंध में, हम दक्षिण चीन सागर में संबंधित देशों के आचरण पर घोषणा के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन का समर्थन करते हैं और दक्षिण चीन सागर में एक प्रभावी और ठोस आचार संहिता के शीघ्र निष्कर्ष की आशा करते हैं. जो 1982 के अनक्लोस सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप होना चाहिए.इस सम्मेलन के दौरान डिजिटल परिवर्तन को आगे बढ़ाने पर एक अलग संयुक्त बयान जारी करते हुए, नेताओं ने एक नई आसियान-भारत कार्य योजना (2026-2030) बनाने पर सहमति व्यक्त की, जो आसियान-भारत साझेदारी की पूरी क्षमता को साकार करने में दोनों पक्षों का मार्गदर्शन करेगी.

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SCO सम्मेलन में पाकिस्तान-चीन को सुनाया

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान में आयोजित SCO सम्मेलन में हिस्सा लेने के साथ ही पाकिस्तान को उसी की जमीन से सुना दिया है. इस सम्मेलन के दौरान एस जयशंकर ने आतंकवाद के खात्मे पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि आतंकवाद को खत्म किए बगैर कोई भी मुल्क अपने विकास की परिकल्पना नहीं कर सकता है. सभी सदस्य देशों को इसके खात्मे के लिए आगे बढ़कर काम करना चाहिए. अपने संबोधन के दौरान एस जयशंकर ने चीन को भी इशारों-इशारों में बुरी तरह से लताड़ लगाई.एस जयशंकर ने कहा कि SCO के सदस्य देशों को तीन बुराइयों का दृढ़ता के साथ मुकाबला करना चाहिए.मौजूदा समय में ये और भी जरूरी हो जाता है.इसके लिए ईमानदार बातचीत,विश्वास,अच्छे पड़ोसी और एससीओ चार्टर के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता है. 

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