महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज में 150 करोड़ का धोखाधड़ी! 11 आरोपी गिरफ्तार

कथित मास्टरमाइंड हुसैन ने कुछ अन्य सहयोगियों के साथ साजिश रची और 2020 में "महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड" के तहत एक फर्जी बैंक खाता खोला - जो मूल ब्रांड नाम से काफी मिलता-जुलता था. इस बैंक खाते का उपयोग धोखाधड़ी के पैसे को तीन साल से अधिक समय तक रखने के लिए किया गया था. 

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नई दिल्ली:

एक फर्जी 'महिंद्रा' खाता, 2,000 से अधिक भूतिया ग्राहक और ₹ 150 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है. यह पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा ऑटो-फाइनेंस घोटाला" हैं. मिजोरम पुलिस ने अब लगभग चार साल से चल रहे घोटाले के पीछे के गिरोह का भंडाफोड़ किया है और कथित मास्टरमाइंड सहित 11 लोगों को गिरफ्तार किया है.


कथित मास्टरमाइंड, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (एमएमएफएसएल) के एक पूर्व कर्मचारी ने 2,000 से अधिक भूतिया ग्राहकों के लिए फर्जी फाइलें बनाकर कार ऋण स्वीकृत किए. यह धोखाधड़ी डीलरों और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से हुई. एमएमएफएसएल मुख्य रूप से वाहन ऋण के वितरण में संलग्न है. 

यह मामला तब सामने आया जब 20 मार्च को एमएमएफएसएल के सर्कल प्रमुख अंकित बागरी ने मिजोरम शाखा में तत्कालीन क्षेत्रीय व्यापार प्रबंधक द्वारा 150 करोड़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी का आरोप लगाया. 29 मार्च को एक और मामला दर्ज किया गया.

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कथित मास्टरमाइंड हुसैन ने कुछ अन्य सहयोगियों के साथ साजिश रची और 2020 में "महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड" के तहत एक फर्जी बैंक खाता खोला - जो मूल ब्रांड नाम से काफी मिलता-जुलता था. इस बैंक खाते का उपयोग धोखाधड़ी के पैसे को तीन साल से अधिक समय तक रखने के लिए किया गया था. 

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 हुसैन के दो सहयोगियों - एडेनथारा और लालथैंकिमा - ने देश के व्यापार प्रमुख का रूप धारण किया और जाली दस्तावेज़ जमा किए. मामले के मास्टरमाइंड को 29 मार्च को अपराध जांच विभाग या सीआईडी ​​द्वारा उसके घर पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था. छापेमारी के दौरान एक लैपटॉप और कई मोबाइल फोन जब्त किये गये.

नकली टिकटें, मुहरें और दस्तावेज़

एडेनथारा और लालथैंकिमा को 2 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था और पूछताछ के दौरान खुलासा हुआ कि  हुसैन ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए और खुद को पेश करते हुए उनके कार्यालय पदनामों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया. 

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कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी, महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड के नाम पर एक बैंक खाता खोलने के लिए. उन्होंने इस उद्देश्य के लिए नकली टिकटें, मुहरें और दस्तावेज़ बनाए. फर्जी खाता कार डीलरों से भुगतान प्राप्त करने के लिए बनाया गया था. 

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हुसैन इन फर्जी फाइलों को कार्यालय से हटाते थे और उन्हें अपने अन्य सहयोगी मनोज सुनार के घर पहुंचाते थे. वह फर्जी ऑपरेशन में मदद के लिए श्री सुनार को प्रति माह ₹ 15,000 का भुगतान करता था. सुनार के घर की तलाशी के दौरान 2022 से 2024 तक की फाइलों से भरे सात बोरे और जाली टिकटें बरामद की गईं. उन्हें 3 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.

अभियुक्त ने फर्जी खातों का प्रबंधन कैसे किया?

श्री हुसैन और उनके सहयोगी संदेह से बचने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि फर्जी खाते गैर-निष्पादित संपत्ति या एनपीए में न बदल जाएं, फर्जी "महिंद्रा" खाते से पैसे निकालकर फर्जी खातों के लिए ईएमआई भुगतान करते थे.  पुलिस ने 26 फर्जी बैंक खातों में करीब 2.5 करोड़ की रकम फ्रीज कर दी है. कार डीलरों के ₹ 1 करोड़ मूल्य के खाते भी फ्रीज कर दिए गए हैं. 3 करोड़ रुपये कीमत की 15 कारें भी बरामद की गई हैं.


 

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