'जहान-ए-खुसरो' के आयोजन में हिंदुस्तान की माटी की खुशबू : पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि 'जहान-ए-खुसरो' आकर खुश होना स्वाभाविक है. इस तरह के आयोजन न केवल देश की संस्कृति और कला के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे एक सुकून भी मिलता है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित सुंदर नर्सरी में सूफी संगीत समारोह 'जहान-ए-खुसरो' के रजत जयंती कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 'जहान-ए-खुसरो' के इस आयोजन में एक अलग खुशबू है, यह खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है.

पीएम मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, " 'जहान-ए-खुसरो' आकर खुश होना स्वाभाविक है. इस तरह के आयोजन न केवल देश की संस्कृति और कला के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनसे एक सुकून भी मिलता है. 'जहान-ए-खुसरो' कार्यक्रम ने भी अपने 25 साल पूरे कर लिए हैं और इन 25 वर्षों में इस कार्यक्रम ने लोगों के दिलों में जगह बनाई है, जो इसकी सबसे बड़ी सफलता है."

पीएम मोदी ने देशवासियों को रमजान की शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि आज जब मैं सुंदर नर्सरी का दौरा कर रहा हूं, तो मेरे लिए हिज हाइनेस प्रिंस करीम आगा खान को याद करना स्वाभाविक है. सुंदर नर्सरी के सौंदर्यीकरण और संरक्षण में उनका योगदान लाखों कला प्रेमियों के लिए एक आशीर्वाद बन गया है.

उन्होंने कहा, "मैं नियमित रूप से सरखेज रोजा में वार्षिक सूफी संगीत समारोह में भाग लेता था. सूफी संगीत एक साझा विरासत है, जिसे हम सभी ने एक साथ जिया है और संजोकर रखा है। इसी तरह हम बड़े हुए हैं. यहां नजर-ए-कृष्ण की प्रस्तुति में भी हम अपनी साझा विरासत का प्रतिबिंब देख सकते हैं. 'जहान-ए-खुसरो' के इस आयोजन में एक अलग खुशबू है, ये खुशबू हिंदुस्तान की मिट्टी की है। वो हिंदुस्तान, जिसकी तुलना हजरत अमीर खुसरो ने जन्नत से की थी. हमारा हिंदुस्तान जन्नत का वो बागीचा है, जहां तहजीब का हर रंग फला-फूला है. यहां की मिट्टी के मिजाज में ही कुछ खास है. शायद इसलिए जब सूफी परंपरा हिंदुस्तान आई, तो उसे भी लगा कि जैसे वह अपनी ही जमीं से जुड़ गई हो."

पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सूफी परंपरा ने अपनी एक अलग पहचान बनाई. सूफी संतों ने खुद को मस्जिद और खानकाहों तक सीमित नहीं रखा है. उन्होंने पवित्र कुरान के हर्फ पढ़े तो वेदों के शब्द भी सुने, उन्होंने अजान की सदा में भक्ति के गीतों की मिठास को जोड़ा. किसी भी देश की सभ्यता, उसकी तहजीब को स्वर उसके गीत-संगीत से मिलता है. उसकी अभिव्यक्ति कला से होती है. हजरत खुसरो ने भारत को उस दौर की दुनिया के तमाम बड़े देशों से महान बताया. उन्होंने संस्कृत को दुनिया की सबसे बेहतरीन भाषा बताया. वह भारत के मनीषियों को बड़े-बड़े विद्वानों से भी बड़ा मानते थे. जब सूफी संगीत और शास्त्रीय संगीत, दोनों प्राचीन परंपराएं आपस में जुड़ीं, तो हमने प्रेम और भक्ति का एक नया लयबद्ध प्रवाह देखा.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Premanand Maharaj Controversy: सनातन पर शास्त्रार्थ, इस बहस का क्या अर्थ? | Shubhankar Mishra
Topics mentioned in this article