अजीत डोभाल, पीएम मोदी और ट्रंप पर अमेरिका के पूर्व एनएसए मैकमास्टर ने किए बड़े खुलासे

Inside story of Ajit Doval, PM Modi and Trump : भारत और अमेरिका के संबंध बहुत उच्च स्तर पर पहुंच गए हैं. इसका अंदाजा अमेरिका के पूर्व एनएसए मैकमास्टर की लिखी किताब को पढ़कर लग जाता है...जानिए क्या लिखा है इसमें...

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Big revelations on Ajit Doval, PM Modi and Trump : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एचआर मैकमास्टर ने अपनी नयी पुस्तक में दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार मुख्य रूप से चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ ‘‘अभूतपूर्व'' सहयोग करने की इच्छुक है, लेकिन साथ ही वह ‘‘फंसने और त्यागे जाने'' को लेकर भी ‘‘भयभीत'' है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के रूप में अपने कार्यकाल का विवरण देते हुए मैकमास्टर ने अपनी पुस्तक ‘ऐट वॉर विद अवरसेल्व्स' में लिखा है कि ट्रंप द्वारा 2018 में बर्खास्त किए जाने से एक दिन पहले उन्होंने अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से मुलाकात की थी. यह पुस्तक मंगलवार से दुकानों पर उपलब्ध हो गई है.

डोभाल को पहले से पता था

मैकमास्टर ने कहा, ‘‘बर्खास्त किए जाने से एक दिन पहले मैं अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से क्वार्टर 13, फोर्ट मैकनेयर में रात्रि भोज के लिए मिला था. यह यूएस कैपिटल के दक्षिण में एनाकोस्टिया और पोटोमैक नदियों के संगम पर स्थित एक शांत जगह है. डोभाल एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो अपने पद के अनुरूप व्यवहार करते हैं.''किताब में लिखा है, ‘‘रात के खाने के बाद टहलते समय उन्होंने (डोभाल ने) फुसफुसाते हुए कहा- ‘हम कब तक साथ काम करेंगे?' खुफिया ब्यूरो के निदेशक रहे डोभाल जैसी पृष्ठभूमि वाले किसी व्यक्ति को यह समझने में देर नहीं लगती कि मैं ट्रंप प्रशासन से अलग हो रहा हूं. मैंने सीधा जवाब दिए बिना उनसे कहा कि इस पद पर काम करना मेरे लिए गर्व की बात रही और मैंने विश्वास जताया कि निरंतरता बनी रहेगी.''

अफगानिस्तान का अंदाजा था

मैकमास्टर ने लिखा कि वे दोनों एक-दूसरे को इतनी अच्छी तरह से जानते थे कि डोभाल उनसे सीधे बात कर सकते थे. किताब के अनुसार, डोभाल ने उनसे पूछा, ‘‘आपके जाने के बाद अफगानिस्तान में क्या होगा?'' इस पर मैकमास्टर ने भारतीय एनएसए से कहा कि ट्रंप ने दक्षिण एशिया रणनीति को मंजूरी दी है और यह 17 साल के युद्ध में पहली तर्कसंगत एवं टिकाऊ रणनीति है. उन्होंने लिखा, ‘‘डोभाल को यह पता था, लेकिन कभी-कभी आप अपने सबसे करीबी विदेशी समकक्षों के साथ भी पूरी तरह से ईमानदार नहीं हो सकते. वास्तव में, मैं डोभाल की चिंता को समझता था और मुझे पता था कि मेरी प्रतिक्रिया उतनी आश्वस्त करने वाली नहीं थी. ट्रंप गैर परंपरागत तरीके से और आवेग में काम करते थे. कभी-कभी यह अच्छा होता था और कभी-कभी यह उतना अच्छा नहीं होता था.''

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अमेरिका से रिश्ते में ये मुश्किल

मैकमास्टर ने अपनी पुस्तक में 14 अप्रैल 2017 से 17 अप्रैल 2017 के बीच अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत की अपनी यात्रा का विस्तृत विवरण दिया है. भारत यात्रा के दौरान उन्होंने नयी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन विदेश सचिव एस जयशंकर और डोभाल से मुलाकात की थी. तब जयशंकर विदेश सचिव थे और दिवंगत सुषमा स्वराज विदेश मंत्री थीं. मैकमास्टर ने डोभाल के जनपथ स्थित आवास पर हुई अपनी बैठक के बारे में लिखा, ‘‘डोभाल और जयशंकर के साथ बातचीत आसान थी, क्योंकि हमारा मानना था कि हमारे पास अपने आपसी उद्देश्यों की पूर्ति के लिए साथ मिलकर काम करने का एक बेहतरीन अवसर है.'' उन्होंने लिखा, ‘‘हमने अफगानिस्तान में युद्ध और परमाणु-संपन्न पाकिस्तान से भारत को होने वाले खतरे के बारे में बात की, लेकिन जयशंकर और डोभाल ने मुख्य रूप से चीन की बढ़ती आक्रामकता के बारे में बात की. शी चिनफिंग की आक्रामकता के कारण अभूतपूर्व सहयोग के लिए उनकी सोच स्पष्ट थी. दुनिया के सबसे बड़े और दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्रों के बीच गहरी होती साझेदारी तार्किक लगती है, लेकिन भारत को उन प्रतिस्पर्धाओं में फंसने का डर है, जिनसे वह दूर रहना पसंद करता है और उसे अमेरिका के ध्यान देने वाला समय कम होने और दक्षिण एशिया को लेकर अस्पष्टता के कारण त्यागे जाने की भी आशंका है.''

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पीएम मोदी से मुलाकात का किस्सा

शीतयुद्ध के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन में भारत के नेतृत्व की विरासत और ये चिंताएं भारत के लिए हथियारों तथा तेल के एक महत्वपूर्ण स्रोत रूस के प्रति उसके अस्पष्ट व्यवहार का कारण है. अपनी यात्रा के अंतिम दिन उन्होंने मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की. पूर्व एनएसए ने लिखा, ‘‘मोदी ने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया. यह स्पष्ट था कि हमारे संबंधों को गहरा करना और विस्तार देना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता थी. उन्होंने भारत की कीमत पर अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के बढ़ते आक्रामक प्रयासों और क्षेत्र में उसकी बढ़ती सैन्य उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की.'' मैकमास्टर ने कहा कि मोदी ने सुझाव दिया कि अमेरिका, भारत, जापान और समान विचारधारा वाले साझेदारों को चीन की ‘वन बेल्ट वन रोड' पहल के विपरीत एक समावेशी प्रयास के रूप में स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत की अवधारणा पर जोर देना चाहिए ताकि सभी को लाभ हो सके. उन्होंने बताया कि बैठक के अंत में प्रधानमंत्री ने उन्हें गले लगाया, उनके कंधों पर हाथ रखा और उन्हें आशीर्वाद दिया. मोदी ने उनसे कहा, ‘‘आपके चारों ओर एक आभा है और आप मानवता के लिए अच्छा काम करेंगे.''

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ट्रंप और पीएम मोदी की वो मुलाकात

कुछ महीने बाद ट्रंप ने 25 जून और 26 जून 2017 को ‘व्हाइट हाउस' (अमेरिका के राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) में मोदी की मेजबानी की. मैकमास्टर ने लिखा, ‘‘कैबिनेट कक्ष में मोदी के प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक और रोज गार्डन में सवाल-जवाब सत्र के बीच हम कुछ पलों के लिए ‘ओवल ऑफिस' में एक साथ बैठे थे. मैंने ट्रंप को सचेत किया कि प्रधानमंत्री मोदी गले मिलने वाले हैं और जिस तरह से यात्रा अच्छी रही है, उसे देखकर उनके बयान देने के बाद शायद वह ट्रंप से गले मिलेंगे.''उन्होंने लिखा, ‘‘हालांकि ट्रंप को मंच पर कभी-कभार अमेरिकी झंडे को गले लगाने के लिए जाना जाता था, लेकिन वे लोगों से अक्सर गले नहीं मिलते. जिस तरह से वे (ट्रंप और मोदी) गले मिले, वह अजीब नहीं लगा. मोदी (बान की) मून के आने से ठीक दो दिन पहले 27 जून को चले गए.''मैकमास्टर ने कहा कि मोदी ऐसे पहले शासन प्रमुख थे, जिनकी तत्कालीन राष्ट्रपति ट्रंप और प्रथम महिला ने रात्रिभोज के लिए ‘ब्लू रूम' में मेजबानी की थी.

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