देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व प्रमुख ए एस दुलत की नई किताब 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई' आ रही है. कश्मीर पर लिखी गई इस किताब को लेकर पहले से ही चर्चा गरम है. अखबारों में छपी रिपोर्ट में कई बातों का जिक्र किया गया है, उसमें कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक अब्दुल्ला ने बाहर तो 370 हटाए जाने का विरोध किया, लेकिन भीतर से इस फ़ैसले का समर्थन किया था. हालांकि ए एस दुलत ने खुद एनडीटीवी से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इसकी पूरी सच्चाई बताई.
पूर्व रॉ प्रमुख ने एनडीटीवी से कहा कि फ़ारूक अब्दुल्ला मायूस थे कि उन्हें भरोसे में नहीं लिया गया. दुलत के मुताबिक फ़ारूक से ज्यादा बड़ा राष्ट्रवादी कश्मीर में कोई नहीं है. एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने अपनी किताब को लेकर कई ख़ुलासे किए.
ए एस दुलत ने कहा कि ये किताब लिखनी ही थी. जितनी किताबें मैंने लिखी है वह कश्मीर पर ही लिखी है. कश्मीरियों के लिए ही लिखी है. 370 को लेकर जो मैंने कहा उसको लेकर गलत रिपोर्टिंग हुई है. उस वक्त फारूक अब्दुल्ला बहुत मायूस थे कि उनको अंदर क्यों बंद कर दिया गया. वह समझ नहीं पा रहे थे कि उनको बंद क्यों किया गया. उनके साथ मैं भी मायूस ही था. बड़ी ज्यादती हुई है, उनके साथ ऐसा क्यों हुआ? डॉक्टर साहब का कहना था कि मैं तो हमेशा दिल्ली के साथ रहा हूं, हम तो हमेशा हिंदुस्तान के साथ रहे हैं, अगर कुछ करना ही था तो हमें कॉन्फिडेंस में तो लिया होता, यही बात है.
उन्होंने कहा कि कौन कहता है कि डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला 370 हटाने के विरोध में नहीं थे, मैंने कभी नहीं कहा है, आप सारी किताब पढ़ लीजिए. फारूख अब्दुल्ला का कहना यह था कि हम हमेशा दिल्ली के साथ रहे हैं, हम हमेशा हिंदुस्तान के साथ रहे हैं, तो इसके बदले हमें यही मिला कि हमें बंद कर दिया गया और हमें कुछ बताया भी नहीं गया.
दुलत ने कहा कि मुझे लगता है उन दोनों के बीच में चर्चा जरूर हुई होगी, लेकिन फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला का कहना है कि हमें नहीं बताया गया कि ऐसा होगा, ऐसे में कोई तो झूठ बोल रहा है ना? अगर आप समझ रहे हैं कि झूठ मैं बोल रहा हूं तो मैं ही झूठा हूं.
उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला 370 हटाए जाने के पक्ष में तो कभी नहीं हो सकते थे. शायद वह रास्ता जरूर बताते कि आपको कैसे करना चाहिए. इतनी फौज कश्मीर में लाने की जरूरत नहीं है, इतने लोगों को हमें बंद करने की जरूरत नहीं है, सोच समझकर कोई और रास्ता निकलता शायद.
पूर्व रॉ प्रमुख ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय दिल्ली ने फारूक अब्दुल्ला को कहा था आपको उपराष्ट्रपति बना देंगे, उमर को वहां कश्मीर में रहने दीजिए. उनको तो उपराष्ट्रपति बनाया नहीं और उमर अब्दुल्ला चुनाव हार गए तो ये सारा किस्सा खत्म हो गया.
कश्मीर में हालात सुधरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि 370 हटाए जाने के बाद दिल्ली और कश्मीर नजदीक आए हैं. मुझे नहीं लगता है कि हालात कश्मीर में सुधरे हैं. अगर कोई कश्मीरी लीडर ये कहता है तो उनसे पूछ लीजिए.
दुलत ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला की कांग्रेस से कोई दूरी नहीं हो रही है, इसको लेकर तो कांग्रेस को सोचना चाहिए कि कैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ रहें. वो तो हमेशा कांग्रेस के साथ ही रहे हैं. सिर्फ एनडीए सरकार में जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे, हालांकि वो अलग किस्म की सरकार थी.
उन्होंने कहा कि उनकी इंटीग्रिटी पर कोई सवाल ही नहीं है. डॉक्टर फारूख अब्दुल्ला से बड़ा नेशनलिस्ट कश्मीर में कोई नहीं है. जो भी कुछ और बात कहते हैं, वो बकवास करते हैं.