आम तौर पर पाकिस्तान की राजनीति भारत के जिक्र बिना नहीं चलती है. भारत के खिलाफ बयानबाज़ी वहां के नेताओं की पुरानी आदत और जरूरत भी रही है. लेकिन इधर पाकिस्तान के नेता लगातार हैरान कर रहे हैं. उनमें जैसे भारत को लेकर सम्मान उमड़ आया है. वे अपनी पुरानी गलतियां मान रहे हैं. ताजा मामला पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ़ का है. पूरे 25 साल बाद उन्होंने माना कि लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन पाकिस्तान ने किया था. इस घोषणापत्र में दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता का वादा था. लेकिन साल भर के भीतर पाकिस्तान ने ये वादा तोड़ दिया. वो खुद को कसूरवार मान रहे हैं.
नवाज शरीफ की इस शराफत का क्या है मतलब
क्या हमें मान लेना चाहिए कि पाकिस्तान के रहनुमा सुधर गए हैं. दरअसल, भारत पाकिस्तान के रिश्तों के उतार-चढ़ाव तमाम तरह के अतिरेकों से भरे रहे हैं, कभी दोनों देश ऐटमी धमाकों के साथ एक-दूसरे को चुनौती देते नजर आए, तो कभी लाहौर में बर्फ पिघलाने की कोशिश की. लेकिन इसके बाद करगिल के जंग जैसे हालात बन गए. अब हालत ये है कि इमरान खान भी नरेंद्र मोदी की दुहाई देते हैं और नवाज शरीफ भी वाजपेयी के समय की गलती कबूल करते हैं.
दरअसल, ये एक कमज़ोर होते मुल्क का क़बूलनामा है जो कई मोर्चों पर घिरा है. वो गले तक कर्ज में डूबा है, जिन आतंकियों को कभी उसने पाला, अब उनके निशाने पर भी है, मुल्ला-मौलवियों की घुड़की भी झेलता है और अमेरिका भी उसके हाथ उमेठता है. कभी कहते थे कि तीन ए- अमेरिका, आर्मी ऐंड अल्लाह- पाकिस्तान को चलाते हैं- अब तीनों उसके लिए चुनौती हैं.
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने माना कि इस्लामाबाद ने भारत के साथ 1999 में हुए लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन किया. उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से करगिल में किए गए हमले के स्पष्ट संदर्भ में यह बात कही. पाकिस्तान के कारगिल दुस्साहस का स्पष्ट रूप से उल्लेख करते हुए नवाज शरीफ ने स्वीकारा कि तत्कालीन सरकार ने लाहौर घोषणापत्र का उल्लंघन किया है. ये पाकिस्तान की बड़ी गलती है. 28 मई, 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए थे. उसके नवाज शरीफ और अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी, 1999 को लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. भारत और पाकिस्तान के बीच ये समझौता दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता के दृष्टिकोण की बात करने वाला था.
1999 के लाहौर समझौते की बड़ी बातें
- भारत-पाकिस्तान का शांति और स्थिरता पर ध्यान रहेगा
- जम्मू-कश्मीर सहित सभी मुद्दों को सुलझाने के प्रयास तेज़ करेंगे
- एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखलंदाज़ी से बचेंगे
- परमाणु हथियारों के अनधिकृत इस्तेमाल के जोखिम को कम करेंगे
- दोनों देशों में तनाव को दूर करने की अहम कूटनीतिक पहल थी समझौता