दिल्ली के पूर्व कमिश्नर मुकुंद कौशल की नई किताब 'सेलिंग ऑन माई ऑन कंपास' लॉन्च हुई है. इसमें उन्होंने अपनी सर्विस के दौरान हुए कई वाक्यों का जिक्र किया है. इस किताब में कई रोचक किस्सों का जिक्र किया गया है. उन्होंने एनडीटीवी से खास बातचीत की और किताब में बयां किए गए इन किस्सों पर विस्तार से जानकारी दी.
धरना प्रदर्शनों के दौरान नेताओं द्वारा पुलिस पर लगाए जाने वाले आरोपों पर मुकुंद कौशल ने कहा कि नेताओं का काम है आरोप लगाना. प्रदर्शन का कारण क्या है, ये अहम बात है. कुछ प्रदर्शन सरकार लिए होते हैं. कुछ प्रदर्शन शांतिप्रिय होते हैं. दिल्ली में संवेदनशील इलाके हैं. प्रदर्शनों में हिंसा भी होती है. पुलिस को देखना पड़ता है. कम ही फोर्स का इस्तेमाल होता है. बल प्रयोग कई तरह के होते हैं. पानी की बौछार भी करते हैं और आदेश भी सोचकर देना पड़ता है. पुलिस के अफसरों को स्थिति से निपटना आता है. दिल्ली पुलिस कई सालों से प्रदर्शनकारियों को हैंडल कर रही है तो उनको कोई दिक्कत नहीं है.
आज के समय में पुलिस द्वारा नेताओं का प्रेशर हैंडल करने की क्षमता के सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं विभाग से काफी समय से बाहर हूं तो इस पर कुछ नहीं कह सकता. उन्होंने अपनी किताब में पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे द्वारा एक काम कराने के लिए दबाव बनाने का भी जिक्र किया है. इस पर उन्होंने कहा कि तब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे. उनके बेटे ने कुछ हिदायत पुलिस को दी थी जो नियम के विरुद्ध थी. उसको लेकर मैंने चिट्ठी लिखी थी, जिसमें पीएम के बेटे का जिक्र किया गया था. जब वो चिट्ठी प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के पास पहुंची तो उन्होंने कहा कि जो सही है वही करो. इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं.
वहीं एक और किस्से का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 1992 में बड़ा प्रेशर था कि इंस्पेक्टर वेदपाल राठी को जामा मस्जिद से हटा दें. राज जन्मभूमि का भी मामला था. उस वक्त के पीएम ने फोन किया था. मेरे ऊपर प्रेशर आया पहले एलजी फिर होम मिनिस्टर और फिर प्रधानमंत्री का. मैंने हर जगह ये बताया कि इंस्पेक्टर को मैंने ही आदेश दिया था. ये आदेश का ही पालन कर रहा था.
एक और किस्से पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि पुलिस ने दो लड़कों को गिरफ्तार किया था. उन पर डकैती का आरोप था. मैंने उनके बारे में सोचा कि आगे चलकर ये बड़े क्रिमिनल बन जाएंगे. मैं रात भर यही सोचता रहा. अगले दिन ऑफिस पहुंचा तो एक लड़के की मां मिलने आई थी और मेरे पीछे पड़ गई कि उस लड़के को इम्तिहान देने दूं. उन्होंने लड़के का पूरा रिकॉर्ड दिखाया. वो हमेशा स्कूल में टॉप दो-तीन बच्चों में आता था और स्पोर्ट्स में भी अच्छा था. तो मैंने सोचा कि इसको बचाने का ये ही एक तरीका है वरना ये बड़ा क्रिमिनल बन जाएगा. उस लड़के ने आगे चलकर यूपीएसई का एग्जाम पास किया और एडिशनल सेक्रेटरी बना.
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