हार्ट अटैक से उबरे कर्नाटक के पूर्व सीएम कुमारस्वामी ने कहा : मुझे मिला ‘तीसरा जन्म’

जनता दल सेक्युलर के नेता एचडी कुमारस्वामी ने अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले लोगों से दिल के दौरे और पक्षाघात को हल्के में नहीं लेने की अपील की

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कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी (फाइल फोटो).
बेंगलुरु:

समय से उपचार मिलने के कारण हृदयाघात से उबरे कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने रविवार को कहा कि यह उनका ‘तीसरा जन्म' है. अपने ठीक होने का श्रेय ईश्वर और उनका उपचार करने वाले डॉक्टरों के दल को देते हुए जनता दल सेक्युलर (JDS) के दूसरे प्रमुख नेता कुमारस्वामी ने कहा कि राज्य के लोगों के बीच बने रहने के लिए उन्हें नया जीवनदान मिला है.

अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले उन्होंने लोगों से दिल के दौरे और पक्षाघात को हल्के में नहीं लेने की अपील की. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले पांच दिनों से मेरे कुछ मित्र डरे हुए हैं. यदि मैं आपसे बातचीत कर रहा हूं तो मैं यह जरूर कहूंगा कि मेरा पुनर्जन्म हुआ है.''

उन्होंने कहा , ‘‘जहां तक मेरे स्वास्थ्य की बात है, तो ईश्वर ने मुझे तीसरा जन्म दिया है. किसी व्यक्ति को एक जन्म मिलता है , लेकिन मेरे मामले में मेरी राय है कि 64 साल की उम्र में मुझे तीसरा जन्म मिला है.''

कुमारस्वामी को 30 अगस्त को अस्पताल में भर्ती किया गया था

कुमारस्वामी को 30 अगस्त को तड़के शहर के एक नामी-गिरामी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और वह पूरी तरह ठीक हैं.

अस्पताल में भर्ती से जुड़े घटनाक्रम को याद करते हुए जेडीएस नेता ने कहा कि 30 अगस्त को रात करीब दो बजे उनकी नींद खुली और उन्हें लगा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है.

उन्होंने बताया कि उन्होंने तुरंत अपने रिश्तेदार एवं मशहूर हृदयचिकित्सक डॉ सीएन मंजूनाथ से संपर्क किया जिन्होंने एक स्नायु-विशेषज्ञ से परामर्श किया, स्नायु विशेषज्ञ ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह दी.

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लक्षण सामने आने पर एक भी मिनट बर्बाद न करें

कुमारस्वामी ने लोगों से ऐसे लक्षण सामने आने पर एक भी मिनट बर्बाद नहीं करने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे रात करीब दो बजे पक्षाघात के लक्षणों का आभास हुआ. यदि मैंने उसकी अनदेखी की होती और यह कहा होता कि मैं सुबह में डॉक्टर के पास चला जाऊंगा तो मुझे अपनी बाकी जिंदगी बिस्तर पर लेटे हुए ही काटनी पड़ती.''

उन्होंने कहा कि कभी यह मत सोचें कि डॉक्टर पैसे बनाने के लिए काम कर रहे हैं क्योंकि जब मरीज उनके पास पहुंचता है तो वे ईमानदारी से उसे बचाने की कोशिश में लग जाते हैं.

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