"जेल नियम है और जमानत अपवाद" : अदालत ने खारिज की झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका

अदालत ने झारखंड के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि कई न्यायिक फैसलों में यह राय दी गई है कि मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के लिए जेल एक नियम है और जमानत एक अपवाद है.

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नई दिल्‍ली:

रांची की एक विशेष अदालत ने झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मंत्री आलमगीर आलम (Alamgir Alam) की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के लिए "जेल एक नियम है और जमानत एक अपवाद है." आलमगीर आलम के निजी सहायक के घरेलू नौकर के पास से करीब 35 करोड़ रुपये की भारी नकदी बरामद हुई थी, जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार कर लिया था.  

कोर्ट ने आलमगीर आलम की जमानत खारिज करते हुए कहा, ''अभियोजन एजेंसी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोपों के संबंध में अदालत के समक्ष ठोस सामग्री रखी है. इसके अलावा याचिकाकर्ता एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और ऐसी संभावना है कि याचिकाकर्ता सबूतों को छिपाने या अभियोजन की शिकायत में शामिल गवाहों को प्रभावित करने का प्रयास करेगा, जो लोक सेवक होने के नाते उसके अधीन काम कर रहे थे.''

मनी लॉन्ड्रिंग राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक खतरा : अदालत 

साथ ही अदालत ने कहा, "मनी लॉन्ड्रिंग एक अपराध होने के नाते राष्ट्रीय हित के लिए आर्थिक खतरा है और यह अपराधियों द्वारा देश के समाज और अर्थव्यवस्था के परिणामों की परवाह किए बिना व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य से उचित साजिश, जानबूझकर तैयारी के साथ किया जाता है और इसका आसानी से पता नहीं लगाया जा सकता है."

कोर्ट ने कहा, "कई न्यायिक फैसलों में यह राय दी गई है कि मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के लिए जेल एक नियम है और जमानत एक अपवाद है." 

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