पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में 5 साल की सजा

कोर्ट के आदेश के बाद प्रदीप शर्मा को अब अलग से 5 साल की कैद काटनी होगी और उनकी अवैध कमाई से जुड़ी संपत्ति सरकार के पास चली जाएगी.

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  • अहमदाबाद की स्पेशल PMLA कोर्ट ने पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग में दोषी करार दिया है
  • प्रदीप शर्मा को पांच साल की कैद और पचास हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है,.
  • आरोप था कि भुज में कलेक्टर रहते हुए सरकारी जमीन कम कीमत पर गलत तरीके से आवंटित कर सरकार को नुकसान पहुंचाया.
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अहमदाबाद की स्पेशल PMLA कोर्ट ने पूर्व IAS अधिकारी प्रदीप निरंकरणाथ शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दोषी करार देते हुए 5 साल की कड़ी कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई है. यह फैसला 06 दिसंबर 2025 को दिया गया. यह मामला PMLA केस से जुड़ा है.

क्यों हुई सजा

प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच गुजरात में दर्ज कई मुकदमों के आधार पर शुरू की थी. इन मुकदमों में आरोप था कि प्रदीप शर्मा ने भुज (कच्छ) में कलेक्टर रहते हुए सरकारी जमीन गलत तरीके से और कम कीमत पर आवंटित की. इस कथित गैरकानूनी काम से गुजरात सरकार को लगभग 1.20 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और आरोपी को अवैध आर्थिक फायदा मिला.

सजा सख्त क्यों

इससे पहले, आरोपी की मुकदमे से छूट (डिस्चार्ज) की अर्जी खारिज हो चुकी थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी अपील ठुकराते हुए कहा था कि मनी लॉन्ड्रिंग एक चलता रहने वाला अपराध है और इसे रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है.कोर्ट ने न सिर्फ सजा सुनाई, बल्कि 1.32 करोड़ रुपये की संपत्ति भी केंद्र सरकार के पक्ष में जब्त करने का आदेश दिया है. यह संपत्ति ED ने पहले ही अटैच कर ली थी.

सजा की सबसे बड़ी वजह

प्रदीप शर्मा की यह मांग भी अदालत ने खारिज कर दी कि नई सजा उनकी पहले वाली सजा के साथ-साथ चलनी चाहिए. अदालत ने कहा कि वह एक IAS अधिकारी थे और ऊंचे पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होना गंभीर अपराध है. इसलिए सजा को एक साथ चलाने का कोई कारण नहीं बनता. इस तरह, कोर्ट के आदेश के बाद प्रदीप शर्मा को अब अलग से 5 साल की कैद काटनी होगी और उनकी अवैध कमाई से जुड़ी संपत्ति सरकार के पास चली जाएगी.

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