विदेश सेवा के कुछ अधिकारी राजीव गांधी के खिलाफ विरोध को तैयार थे, नटवर सिंह ने उन्हें रोका

वर्ष 1987 में पी वेंकटेश्वरन को अचानक से विदेश सचिव पद से हटाने की तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की घोषणा से विदेश सेवा के अधिकारियों का एक समूह उनसे खफा हो गया था और उनके खिलाफ विरोध करने की तैयारी में था.

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सिंह ने बताया कि कै तत्कालीन सेवानिवृत्त गृह सचिव एल पी सिंह ने इस पर एक लेख प्रकाशित किया था. 
नई दिल्ली:

वर्ष 1987 में पी वेंकटेश्वरन को अचानक से विदेश सचिव पद से हटाने की तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की घोषणा से विदेश सेवा के अधिकारियों का एक समूह उनसे खफा हो गया था और उनके खिलाफ विरोध करने की तैयारी में था. लेकिन पूर्व राजनयिक और सियासतदां के नटवर सिंह (Natwar Singh) को इस मामले में दखल देना पड़ा और उन्होंने राजनयिकों का गुस्सा शांत कराया. तब राज्य मंत्री रहे सिंह ने ‘एन अनफिनिश्ड जर्नी' (An Unfinished Journey) नामक किताब के विमोचन के मौके पर इस घटना के बारे में बताया. यह पुस्तक दिवगंत राजदूत योगेश एम तिवारी के संस्मरणों पर आधारित है.

 नटवर सिंह ने बताया कि एक पाकिस्तानी राजनयिक के एक सवाल का जवाब देते हुए राजीव गांधी ने प्रेस वार्ता में कहा था, “आप जल्द ही एक नए विदेश सचिव से बात करेंगे” और दर्शकों में वेंकटेश्वरन बैठे थे. सिंह ने कहा कि वह उस समय राज्य मंत्री थे और उड़ान पकड़कर सीधे राजीव गांधी के पास गए और उनसे इस मुद्दे पर सवाल पूछा. सिंह ने कहा, “राजीव गांधी ने कहा, 'मुझे नहीं पता था कि वह (वेंकटेश्वरन) वहां बैठे हैं', और मैंने कहा 'भले ही वह वहां न होते तो भी आप ऐसा नहीं कर सकते.”

 नटवर सिंह के मुताबिक, “तत्कालीन प्रधानमंत्री ने जो किया, उसका विरोध करने के लिए योगेश तिवारी ने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया. जब मुझे पता चला तो मैं उनके पास पहुंचा. मैंने उ‍नसे कहा, क्या आपको लगता है कि यह विदेश सेवा ट्रेड यूनियन है? आप यह नहीं करेंगे.” राजनीति में आने से पहले विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे सिंह ने कहा, “मैं राजीव गांधी के पास गया और कहा कि मैंने इसे रोक दिया है, लेकिन मंत्रालय में नाराजगी है. उन्होंने पूछा ‘मुझे क्या करना चाहिए' और मैंने कहा कि कुछ मत कीजिए.”

सिंह ने यह भी बताया कि कैसे तत्कालीन सेवानिवृत्त गृह सचिव एल पी सिंह ने इस प्रकरण पर एक लेख प्रकाशित किया था और कैसे उन्होंने इस कदम के लिए राजीव गांधी की आलोचना करने वाले दूसरे लेख को प्रकाशित कराने से उन्हें रोका था.हालांकि, नटवर सिंह ने कहा कि वेंकटेश्वरन राजीव गांधी की उपस्थिति में विभिन्न अवसरों पर कई बातों को लेकर लापरवाह रहते थे. उन्होंने कहा, “एक बार उन्होंने 1986 में सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान घोषणा की कि राजीव गांधी पाकिस्तान का दौरा करेंगे और तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. जब वेंकटेश्वरन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैंने सोचा था कि वह जाएंगे तो मैंने कह दिया.”

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी किताब में दर्ज एक घटना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 'तिवारी ने वेंकटेश्वरन प्रकरण के मद्देनजर विदेश सेवा के अधिकारियों को बुलाया था और नटवर सिंह को भी इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, जिन्होंने शिरकत भी की थी.'

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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