मदद के लिए कई देशों ने बढ़ाया हाथ, ऑक्‍सीजन की जरूरत को पूरा करना हमारी प्राथमिकता: विदेश सचिव

विदेश सचिव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ऑक्सीजन की ज़रूरत को पूरा करना हमारी पहली प्राथमिकता है. भारत सरकार कई क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है. 

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विदेश सचिव ने कहा, भारत सरकार कई क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है
नई दिल्‍ली:

Corona Pandemic:कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर का सामना कर रहे भारत की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (Harsh Vardhan Shringla) ने भारत को मिल रही अंतरराष्ट्रीय मदद को लेकर गुरुवार को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि करीब 40 देशों ने अब तक सहायता और सहयोग ऑफर किया है. सरकार ने ज़रूरतों को पहचान कर उसको पूरा करने में त्वरित फ़ैसला लिया है. प्रधानमंत्री ने ख़ुद अलग-अलग मंत्रालयों को आपसी समन्वय से जरूरतों को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं. विदेश सचिव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ऑक्सीजन की ज़रूरत को पूरा करना हमारी पहली प्राथमिकता है. भारत सरकार कई क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है. 

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पहले क्षेत्र के तहत, विदेशों से सरकार से सरकार के स्तर पर काम किया जा रहा है. दूसरे तरह के मामले में हमें सहयोग मिल रहा है. तीसरे क्षेत्र के तहत, भारतीय कंपनियां अपने स्त्रोतों से उपकरण खरीद रही हैं. चौथा क्षेत्र, अंतरराष्ट्रीय सहयोग है जैसे कि यूएस से. इसके अलावा विदेशों में रह रहे भारतीय भी सहयोग ऑफर कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहली फ्लाइट 27 अप्रैल को यूके से आई. बीती रात रूस से दो विमान भारत पहुंचे हैं. अमेरिका से तीन फ्लाइट में ऑक्सीजन के उपकरण और कॉन्सेंट्रेटर आ रहे हैं. कल दो फ्लाइट आएंगी. तीसरी फ्लाइट 4 मई को आएगी. इनमें ऑक्सीजन जेनेरेटर्स होंगे ये सबसे अहम है. यूएई और फ्रांस से भी मदद पहुंच रही है. यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, हर तरफ़ से सामग्री आ रही है. अगले कुछ दिनों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से पांच सौ से अधिक ऑक्सीजन जेनेरेटर्स, दस हज़ार से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर्स, चार हज़ार से अधिक ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर, 17 ऑक्सीजन टैंकर्स आ रहे हैं. ऑक्सीजन जेनरेटर्स को जहां जिन राज्यों में लगाए जाने की ज़रूरत है, सीधे वहीं भेजे जाने का समन्वय किया जा रहा है.विदेश सचिव ने कहा कि हमारी जरूरत 2 से तीन लाख इंजेक्‍शर प्रतिदिन की है इसलिए रेमडेसिविर के जितने भी निर्माता हैं हमने सबसे संपर्क किया है. दो कंपनियों से हमें 4/4 लाख डोज़ मिलने का भरोसा मिला है. 

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नीति पर बदलाव के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि हम एक अप्रत्याशित स्थिति गुज़र रहे हैं.हमने कई देशों से चीज़ें ख़रीदने की पहल की है जबकि कई देश ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. कई देशों को हमने पहले हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन से लेकर वैक्सीन तक दिए हैं, इसी तरह कई देशों ने हमें सहयोग ऑफर किया. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी कहा कि भारत ने हमारी शुरुआती समय में मदद की, अमेरिका भी मदद कर रहा है. भूटान और बांग्लादेश, सभी ने मदद का हाथ बढ़ाया है. यह इसलिए है क्‍योंकि हमने इनकी मदद की है.अमेरिका जैसे देशों की तरफ़ से ट्रैवल एडवाज़री आने पर
उन्‍होंने कहा कि हमने भी पहले कई बंदिशें लगाईं, कई देशों के लिए जो उस समय के लिए था. उन्‍होंने कहा कि  कई देश अब जो ट्रैवल एडवाइज़री दे रहे हैं वे अस्थायी हैं, थोड़े समय के लिए हैं.

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