पहली बार, IISER भोपाल के शोधकर्ताओं ने हल्दी के जीनोम का पता लगाया

डीएनए और आरएनए अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों के विकास ने ‘‘हर्बल जीनोमिक्स’’ नामक एक नए विषय के लिए प्रेरित किया है जो जड़ी-बूटियों की आनुवंशिक संरचना और औषधीय लक्षणों के साथ उनके संबंधों को समझने के लिए लक्षित हैं.

विज्ञापन
Read Time: 15 mins
IISER ने कहा है कि हल्दी पर केंद्रित 3 हजार से अधिक अध्ययन प्रकाशित किए जा चुके हैं. (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली:

भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) भोपाल के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दुनिया में पहली बार हल्दी के पौधे के जीनोम को अनुक्रमित करने का दावा किया है. अध्ययन का परिणाम हाल में प्रतिष्ठित नेचर ग्रुप- कम्युनिकेशंस बायोलॉजी से संबंधित एक शोध पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. टीम के अनुसार, दुनिया भर में हर्बल दवाओं में बढ़ती रुचि के साथ, शोधकर्ता जड़ी-बूटियों वाले क्षेत्रों जैसे कि उनकी आनुवंशिक पृष्ठभूमि पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

डीएनए और आरएनए अनुक्रमण प्रौद्योगिकियों के विकास ने ‘‘हर्बल जीनोमिक्स'' नामक एक नए विषय के लिए प्रेरित किया है जो जड़ी-बूटियों की आनुवंशिक संरचना और औषधीय लक्षणों के साथ उनके संबंधों को समझने के लिए लक्षित हैं. टीम ने दावा किया कि हर्बल जीनोमिक्स के क्षेत्र की शुरुआत और हर्बल सिस्टम की जटिलता को देखते हुए, अब तक केवल कुछ अच्छी तरह से इकट्ठे हर्बल जीनोम का अध्ययन ही किया गया है.

आईआईएसईआर भोपाल के जैविक विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर विनीत के शर्मा ने कहा, ‘‘हमने दुनिया में पहली बार हल्दी के जीनोम को अनुक्रमित किया है. यह कार्य महत्वपूर्ण है क्योंकि हल्दी पर केंद्रित 3,000 से अधिक अध्ययन प्रकाशित किए जा चुके हैं लेकिन हमारी टीम के अध्ययन के बाद ही जीनोम अनुक्रम का पता चल पाया.'' शर्मा ने कहा, ‘‘हल्दी की आनुवंशिक संरचना का पहला विश्लेषण होने के नाते, हमारे अध्ययन ने पौधे के बारे में अब तक अज्ञात जानकारी प्रदान की है. आईआईएसईआर के अनुक्रमण और विश्लेषण से हल्दी के संबंध में कुछ अन्य जानकारी की पुष्टि हुई है.''

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे अध्ययन से पता चला है कि हल्दी में कई जीन पर्यावरणीय दबाव के चलते विकसित हुए हैं. पर्यावरणीय दबाव की स्थिति में जीवित रहने के लिए, हल्दी के पौधे ने अपने स्वयं के अस्तित्व के लिए करक्यूमिनोइड्स जैसे माध्यमिक चयापचयों के संश्लेषण के लिए विशिष्ट आनुवंशिक मार्ग विकसित किए हैं. ये द्वितीयक मेटाबोलाइट जड़ी-बूटी के औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार हैं.''

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Delhi Firing News: Nangloi और Alipur में फायरिंग की घटनाएं से दिल्ली में दहशत का माहौल, जानिए पूरा मामला