नीतीश कुमार को बिहार विधानसभा अध्यक्ष पर ग़ुस्सा क्यों आता हैं ?

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच जारी तनावपूर्ण सम्बंध में मंगलवार को बिहार विधान सभा के अंदर एक नया अध्याय लिखा गया. विधानसभा के इतिहास में पहली बार सत्तारूढ़ दल के विधायकों की अनुपस्थिति की वजह से सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी.

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जदयू और भाजपा के बीच तनातनी जारी
पटना:

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा के बीच जारी तनावपूर्ण सम्बंध में मंगलवार को बिहार विधान सभा के अंदर एक नया अध्याय लिखा गया. विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने पूरे विपक्ष के सदन बहिष्कार के फ़ैसले के बाद जब “ उत्कृष्ट विधान सभा एवं उत्कृष्ट विधायक के स्वरूप निर्धारण “ विषय पर जैसे ही बहस की शुरुआत की तो उन्हें थोड़ी देर में एहसास हो गया कि जनता दल यूनाइटेड के अधिकांश विधायक और मंत्री अनुपस्थित हैं. सदन में जो दो मंत्री सुनील कुमार और शीला मंडल मौजूद थे वो भी थोड़ी देर बाद बहस के दौरान निकल गये.

बहरहाल, सदन को कवर कर रहे पत्रकार जनता दल यूनाइटेड के विधायकों को खोजने निकले तो क़रीब पंद्रह से अधिक विधायक मंत्री श्रवण कुमार के चेम्बर में मौजूद थे. मीडिया के सवालों का जवाब देने में जदयू विधायक असहज दिखे. उधर विधान सभा अध्यक्ष ने नीतीश कुमार की पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के बिना किसी घोषणा के अलग रहने की रणनीति को समझते हुए बहस को स्थगित कर दिया. लेकिन उनके भाषण में तल्खी साफ दिखाई दे रही थी.  

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हालाँकि जनता दल यूनाइटेड के विधायकों का दावा हैं कि सदन के अंदर उपस्थित ना रहने के लिए कोई आदेश जारी नहीं हुआ था. लेकिन एक साथ सबका अनुपस्थित होना भी संयोग नहीं हो सकता.

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वहीं भाजपा के नेताओं के अनुसार उन्हें नीतीश कुमार की नाराज़गी का अंदाज़ा सोमवार को उस समय हो गया था जब विधान सभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने ज़िला में कलेक्टरेट और ब्लॉक ऑफ़िस में विधायकों के बैठने के लिए एक एक कमरा के विषय पर मुख्य मंत्री की उपस्थिति में खड़े होने के लिए कहा.

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आम तौर पर यह प्रक्रिया सदन में विश्वास या अविश्वास मत या किसी महत्वपूर्ण बिल पर वोटिंग के समय विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता हैं. ये नीतीश को नागवार गुज़रा क्योंकि उनके दो मंत्रियों ने अध्यक्ष को भाजपा के मंत्रियों के सामने इसके विकल्प में सरकारी आदेश निकालने का सुझाव दिया जिसे उन्होंने नामंज़ूर कर दिया था. वैसे ही नीतीश की पार्टी के मंत्रियों ने अध्यक्ष को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए बहस के बजाय समिति के गठन का सुझाव दिया था ।

हालाँकि भाजपा नेता कहते हैं कि इस प्रकरण का आने वाले समय में दोनो दलों के रिश्ते पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. भाजपा नेताओं का यह भी कहना है कि नीतीश कुमार इस सत्र के दौरान NDA विधायक दल की संयुक्त बैठक बुलाने से बच रहे हैं जबकि सत्र शुरू होने के पूर्व ही उन्होंने जनता दल यूनाइटेड के विधायक दल की बैठक कर ली.

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