"भगवान के लिए वैक्सीन और दवाएं दिला दें" : मुंबई के वरिष्ठ डॉक्टर की हताशा भरी अपील

लीलावती अस्पताल की आठवीं मंजिल की लिफ्ट लॉबी को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया, यह उन मरीजों की सहमति से किया गया जो बड़ी तादाद में अस्पताल से बाहर इंतजार कर रहे थे

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र (Maharashtra) में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर में संक्रमण के नए मामले आसमान छू रहे हैं. मुंबई के अस्पतालों में कोरोना के मामलों में उछाल का असर दिख रहा है. मुंबई के लीलावती अस्पताल का एक वीडियो आज सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से शेयर किया गया. इसमें दिखाया गया कि कैसे अस्पताल को अपनी लॉबी को कोविड वार्ड में परिवर्तित करने के लिए मजबूर होना पड़ा. अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कैमरे के सामने अपनी हताशा जाहिर की.अस्पताल में न केवल वैक्सीन की कमी थी, बल्कि रेमडीसीवर जैसी जीवनरक्षक दवाएं भी कम थीं.

डॉ पारकर ने NDTV से कहा, "मेरे अस्पताल में पिछले दो-तीन दिनों से टीके नहीं हैं. रेमडीसीवर की कमी है, टॉसिलिज़ुबम की कमी है. हम भीख मांगने, उधार लेने, चोरी करने वाले हैं." उन्होंने कहा कि "ईश्वर के निमित्त मेरा निवेदन है कि कृपया इसे देखें कि रेमेडिसविर, टॉसिलिज़ुबम, टीकाकरण - वे उपलब्ध हैं. क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे हम जीवन बचा सकते हैं. एकमात्र तरीका जिससे हम कोविड 19 को जीत सकते हैं. इसलिए ईश्वर की खातिर, कोई लालफीताशाही न होने दें, कोई चर्चा न होने दें, लेकिन कार्रवाई होने दें."

लीलावती अस्पताल की आठवीं मंजिल की लिफ्ट लॉबी को कोविड वार्ड में तब्दील कर दिया गया. यह उन मरीजों की सहमति लेने के बाद किया गया जो बड़ी तादाद में अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे थे.

डॉ पारकर ने कहा कि बेड की कमी अमीर और गरीब सबके लिए एक जैसी है. उन्होंने कहा, अस्पतालों को मरीजों की "सुनामी" का सामना करना पड़ रहा है, "सरासर विशाल संख्या" हर किसी को "घबरा देने वाली और थका देने वाली" बना रही है. संख्या इस हद तक बढ़ रही है कि मरीज बेड से लेकर ऑक्सीजन और इलाज के लिए हर अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं.

डॉ पार्कर ने कहा कि इन रोगियों से दूर नहीं रहा जा सकता है क्योंकि ज्यादातर समय इन्हें इंट्रावीनस दवा देने की आवश्यकता होती है, जो केवल अस्पतालों में दी जा सकती है. इन्हें चौबीसों घंटे निगरानी की भी जरूरत है.

उन्होंने कहा कि पिछले साल, नर्सों, वार्डब्वायों और टेक्नीशियनों ने अपने जीवन के दिन और रात दिए हैं. उन्होंने कहा कि "हम सभी थक चुके हैं. मैं वास्तव में थक गया हूं. इसलिए मेरे सहयोगी हैं." सिर्फ मरीजों को ही नहीं, उनके परिजनों को भी डॉक्टरों को फोन और व्हाट्सऐप पर उनकी जानकारी देना पड़ती है.

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उन्होंने कहा कि नर्स और वार्डब्वाय गर्म पीपीई किट में बिना टी ब्रेक लिए या बाथरूम जाए, आठ से दस घंटे काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि "वे बोल नहीं सकते हैं, दो या तीन मास्कों में लिपटे रहते हैं. आपको सुनाने के लिए जोर से चिल्लाना होगा ... लेकिन हम क्या कर सकते हैं? हम सेवा कर सकते हैं." 

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