चारा घोटाला मामला : CBI की याचिका पर लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के कारण बताते हुए कहा है कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का कोई मकसद पूरा नहीं होगा.

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हाईकोर्ट के फेसले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं- लालू यादव
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डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये से अधिक के गबन मामले में दोषी लालू
हाईकोर्ट के फेसले में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं- लालू यादव
25 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
नई दिल्‍ली:

लालू प्रसाद यादव ने सुप्रीम कोर्ट में चारा घोटाला मामले में सीबीआई की याचिका पर जवाब दाखिल कर दिया है. इसमें लालू यादव ने अपनी जमानत रद्द करने की सीबीआई की याचिका का विरोध किया है. उन्‍होंने कहा है कि सीबीआई की याचिका खारिज की जाए. 

हाईकोर्ट के फेसले में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं- लालू यादव
सीबीआई की याचिका के जवाब में लालू यादव का कहना है, "सजा निलंबित करने के हाईकोर्ट के आदेश को केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि सीबीआई इस फैसले से असंतुष्ट है. हाईकोर्ट के फेसले में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि हाईकोर्ट का फैसला सामान्य सिद्धांतों और समान नियमों पर आधारित है. 

25 अगस्त को होगी मामले की सुनवाई
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र के कारण बताते हुए कहा है कि उन्हें हिरासत में रखने से सीबीआई का कोई मकसद  पूरा नहीं होगा. दरअसल लालू प्रसाद यादव की ज़मानत को रद्द करने की सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है. CBI ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार हुआ है.  25 अगस्त को होगी सुनवाई. सीबीआई ने दुमका, डोरंडा और चाईबासा और देवघर मामलों में जमानत को चुनौती दी है. 

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अदालत ने पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सुनाई थी सजा 
चारा घोटाले के तहत डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये से अधिक के गबन मामले में दोषी करार दिए गए लालू प्रसाद यादव को रांची में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने पिछले साल 21 फरवरी को पांच वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था. उच्च न्यायालय ने 22 अप्रैल, 2022 को डोरंडा कोषागार गबन मामले में 75 वर्षीय यादव को जमानत दे दी थी. लालू यादव को रांची में सीबीआई की एक अदालत ने पिछले वर्ष 15 फरवरी को इस मामले में दोषी ठहराया था. जब यह कथित घोटाला हुआ उस समय लालू अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री थे और वित्त विभाग भी उनके पास था.

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