- यमुना नदी का जलस्तर दिल्ली में खतरे के निशान से ऊपर पहुंचकर 205.95 मीटर दर्ज किया गया है
- CM रेखा गुप्ता ने दिल्ली में व्यापक बाढ़ की संभावना से इनकार करते हुए स्थिति को पूरी तरह नियंत्रण में बताया
- हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से भारी पानी छोड़े जाने और उत्तराखंड में तेज बारिश के कारण जलस्तर बढ़ा है
दिल्ली में यमुना नदी एक बार फिर उफान पर है. सोमवार सुबह पांच बजे यमुना का जलस्तर 205.95 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान से ऊपर है. दोपहर दो बजे पुराने रेलवे पुल पर यह स्तर 205.36 मीटर रहा. यह स्थिति राजधानी के लिए चिंता का सबब बनी हुई है, क्योंकि खतरे का निशान 205.33 मीटर पर तय है. हालांकि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जनता को आश्वस्त किया है कि राष्ट्रीय राजधानी में व्यापक बाढ़ नहीं आएगी और हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं.
सीएम ने बेहतर तैयारी का दिया आश्वासन
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जल संसाधन मंत्री प्रवेश साहिब सिंह के साथ यमुना और आसपास के इलाकों का जायज़ा लिया. उन्होंने साफ कहा कि स्थिति सुरक्षित है. जलभराव की समस्या केवल डूब क्षेत्र (low-lying areas) तक ही सीमित रहेगी. सभी विभाग सतर्कता के साथ दिन-रात काम कर रहे हैं और हालात नियंत्रण में हैं.
मुख्यमंत्री ने बताया कि राहत और बचाव कार्यों को लेकर पूरी तैयारी की गई है. राजधानी में प्रमुख स्थानों पर 14 नौकाएं तैनात की गई हैं. साथ ही, प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि 206 मीटर से ऊपर जाने की स्थिति में निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा.
यमुना में बाढ़ का कारण क्या है?
यमुना का उफान केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है. इसकी जड़ हरियाणा और उत्तराखंड तक फैली है. बीते दिनों भारी बारिश के चलते हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से बड़ी मात्रा में पानी छोड़ा गया. 60,000 क्यूसेक से अधिक पानी यमुना में छोड़े जाने के कारण इसका असर सीधे दिल्ली पर पड़ा है.
- उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हो रही तेज़ बारिश ने यमुना और उसकी सहायक नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है.
- लगातार बरसात के चलते बैराजों से अतिरिक्त पानी छोड़ा गया, जिससे नदी के किनारे बसे इलाकों में खतरा और बढ़ गया.
- विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून की भारी बारिश और पहाड़ी राज्यों से छोड़े गए पानी का सीधा असर दिल्ली की यमुना पर पड़ता है.
क्या है खतरे का पैमाना?
दिल्ली में यमुना के जलस्तर की निगरानी विशेष रूप से पुराने रेलवे पुल (लोहे के पुल) पर की जाती है.
- चेतावनी स्तर: 204.50 मीटर
- खतरे का स्तर: 205.33 मीटर
- निकासी प्रक्रिया शुरू होती है: 206 मीटर
वर्तमान में जलस्तर 205.95 मीटर तक पहुंच गया है, यानी खतरे के स्तर से ऊपर. हालांकि अभी यह 206 मीटर से नीचे है, इसलिए बड़े पैमाने पर निकासी की ज़रूरत नहीं पड़ी है.
लोगों को हो रही है परेशानी
यमुना का पानी किनारे के निचले इलाकों में फैलने लगा है. खासकर मजनूं का टीला, लोहे का पुल, कश्मीरी गेट और आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हैं.
- किसानों की फसलें डूब क्षेत्र में पानी से भर गई हैं.
- कई घरों और झुग्गियों में पानी घुसने लगा है.
- लोग अपने सामान को ऊंचे स्थानों पर रखने और बच्चों को सुरक्षित करने में जुटे हैं.
हालांकि सरकार ने दावा किया है कि हालात नियंत्रण में हैं, लेकिन स्थानीय लोगों की चिंता कम नहीं हो रही है. उन्हें डर है कि अगर और पानी छोड़ा गया या बारिश तेज़ हुई तो स्थिति अचानक बिगड़ सकती है.
प्रशासन कर रही है निगरानी
दिल्ली प्रशासन ने बाढ़ नियंत्रण विभाग, सिंचाई विभाग, आपदा प्रबंधन दल और पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा है. संवेदनशील जगहों पर चौकसी बढ़ा दी गई है. आपदा नियंत्रण कक्ष 24 घंटे सक्रिय हैं. मेडिकल टीमें और राहत केंद्रों को अलर्ट पर रखा गया है. सीएम ने कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है. किसी भी आपात स्थिति में लोगों को तुरंत सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा.
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