- महाराष्ट्र सरकार ने खालिद का शिवाजी नाम की फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ के आरोपों को गंभीरता से लिया है.
- मंत्री आशीष शेलार ने फिल्म के सेंसर प्रमाणपत्र पर सवाल उठाए हैं. साथ ही फिल्म की पुन: जांच की मांग की.
- सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ किसी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
महाराष्ट्र में 'खालिद का शिवाजी' नाम की फिल्म को लेकर विवाद हो गया है. सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने गुरुवार को एक कड़ा बयान दिया और कहा कि इतिहास से छेड़छाड़ किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. साथ ही राज्य सरकार ने फिल्म को लेकर मिली शिकायतों को गंभीरता से लिया है और केंद्र सरकार से फिल्म की तुरंत दोबारा जांच करने का अनुरोध किया है.
शिव समर्थ प्रतिष्ठान के आयोजक नीलेश भिसे ने एक दिन पहले सांस्कृतिक मामलों के मंत्री शेलार से मुलाकात की थी और फिल्म को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में ऐसे दृश्य और संवाद हैं, जो इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करते हैं और जनभावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं.
फिल्म को लेकर बड़ी संख्या में शिकायतें और ज्ञापन मिले
इसे लेकर आशीष शेलार ने कहा कि फिल्म सेंसरशिप बोर्ड केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. प्रशासन को इस फिल्म की पुनः जांच के संबंध में केंद्र सरकार से तुरंत पत्राचार करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि आवश्यक हुआ तो वे संबंधित केंद्रीय मंत्रियों और अधिकारियों से भी इस बारे में चर्चा करेंगे.
शेलार ने बताया कि राज्य सरकार को इस फिल्म के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायतें और ज्ञापन मिले हैं और फिल्म में छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में गलत और विकृत जानकारी देने का आरोप लगाया गया है. इतिहास के विद्वानों सहित कई लोगों ने फिल्म के कई संवादों पर कड़ी आपत्ति जताई है.
फिल्म को केंद्रीय सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र कैसे मिला?: शेलार
सांस्कृतिक कार्य विभाग की सचिव डॉ. किरण कुलकर्णी ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण विभाग के सचिव को एक पत्र भेजकर अनुरोध किया है कि फिल्म की पुनः जांच की जाए और फिल्म को दिए गए प्रमाणपत्र पर पुनर्विचार किया जाए. साथ ही कहा गया है कि पुनः जांच होने तक फिल्म के प्रदर्शन को रोक दिया जाए.
मंत्री शेलार ने सवाल किया कि फिल्म को केंद्रीय सेंसर बोर्ड का प्रमाणपत्र कैसे मिला? क्या स्क्रीनिंग कमेटी ने फिल्म का उचित अध्ययन किया था? इस संबंध में जांच होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की जांच की जाएगी कि इस फिल्म का चयन कान फिल्म महोत्सव के लिए कैसे हुआ और क्या इस संबंध में कोई गड़बड़ी हुई है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कई संस्थाओं, संगठनों और इतिहासकारों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की हैं और सरकार इन सभी शिकायतों की गंभीरता से जांच कर रही है.