'वे एक बेहतरीन एथलीट थे' पीएम मोदी ने धावक फौजा सिंह के निधन पर जताया दुख

विश्व प्रसिद्ध एथलीट और सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन हो गया था. 114 वर्षीय फौजा सिंह सोमवार सुबह सैर पर गए थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी. हादसे के बाद कार चालक मौके से फरार हो गया.

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114 वर्षीय मैराथन धावक फौजा सिंह की जालंधर में सड़क दुर्घटना में मौत
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  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर गहरा दुख जताते हुए संवेदनाएं व्यक्त कीं.
  • 114 वर्षीय फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन हुआ, जब एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मारी और चालक फरार हो गया.
  • गंभीर रूप से घायल फौजा सिंह को जालंधर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
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नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह के निधन पर दुख जताया. पीएम मोदी ने कहा कि मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनिया भर में उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "फौजा सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे. उन्होंने अपने खास व्यक्तित्व और फिटनेस जैसे महत्वपूर्ण विषय को लेकर भारत के युवाओं को प्रेरित किया. वे अद्भुत दृढ़ संकल्प वाले एक उत्कृष्ट एथलीट थे. उनके निधन से बहुत दुख हुआ. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और दुनियाभर में मौजूद उनके अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं."

विश्व प्रसिद्ध एथलीट और सबसे उम्रदराज मैराथन धावक फौजा सिंह का सड़क हादसे में निधन हो गया था. 114 वर्षीय फौजा सिंह सोमवार सुबह सैर पर गए थे, तभी एक तेज रफ्तार कार ने उन्हें टक्कर मार दी. हादसे के बाद कार चालक मौके से फरार हो गया. गंभीर रूप से घायल फौजा सिंह को तुरंत जालंधर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. 

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हादसे की सूचना मिलते ही जालंधर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया और फरार चालक की तलाश के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगालने के साथ-साथ प्रत्यक्षदर्शियों से पूछताछ भी की.

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फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को पंजाब के जालंधर स्थित ब्यास पिंड में हुआ था. चार भाई-बहनों में सबसे छोटे फौजा बचपन में शारीरिक रूप से कमजोर थे और पांच साल की उम्र तक चल नहीं पाते थे, लेकिन उन्होंने असाधारण इच्छाशक्ति से इस कमी को अपनी ताकत बनाया. बचपन से ही दौड़ने का शौक रखने वाले फौजा पर 1947 के भारत-पाकिस्तान विभाजन ने गहरा प्रभाव डाला. उन्होंने 100 वर्ष की आयु में साल 2011 में टोरंटो मैराथन को 8 घंटे, 11 मिनट और 6 सेकंड में पूरा कर विश्व रिकॉर्ड बनाया. वह दुनिया के पहले 100 वर्षीय मैराथन धावक बने, जिसने उन्हें वैश्विक पहचान दिलाई.

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