सरकार ने कहा, 'ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा कोरोना का नया स्ट्रेन भारत में अब तक नहीं मिला'

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ''163 दिन बाद देश मे एक्टिव केस 3 लाख से कम हुई. अब एक्टिव केस 3% से कम है. ये 173 दिन बाद 20,000 से कम नए मामले आए हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

कोरोनावायरस के नए स्ट्रेन पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जानकारी दी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, जो वैक्सीन अभी डेवलप हो रहे हैं म्यूटेशन से उसपर कोई असर नहीं होगा, यानी म्यूटेशन के बावजूद वैक्सीन कारगर होगी. चिंता की बात नहीं है और पैनिक की भी जरूरत नहीं है. हमारे देश मे म्यूटेशन का कोई सिग्नल नहीं देखा गया है.''

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा, ''यूके में वायरस के म्यूटेशन में देखा गया है कि इससे एक दूसरे में संक्रमण ज्यादा फैलता है. ये सुपर स्प्रेडर बन रहा है लेकिन ये भी देखा गया है कि इससे सीरियसनेस या फिर अस्पताल में भर्ती का खतरा नहीं बढ़ा है. म्यूटेशन में वायरस में बदलाव आते हैं ऐसा स्वभाव कई वायरस का होता है जिसका ज्यादा महत्व नहीं है.''

नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल का नए वायरस स्ट्रेन पर कहना है कि वायरस में बदलाव होते रहते हैं, लेकिन हर बदलाव मायने नहीं रखता. लेकिन अभी जो बदलाव हैं उसमें 17 बदलाव हैं. हमारे सेल में एंट्री करने की क्षमता इसमें ज़्यादा है. इसकी संक्रामकता ज़्यादा है. ऐसा भी कहा जाता है कि ये वायरस सुपर स्प्रेड़र बन गया है. लेकिन अहम बात है कि इससे बीमारी की गंभीरता नहीं बढ़ रही, hospitalization नहीं बढ़ाता और मौत नहीं बढ़ाता.

वी के पॉल ने यह भी कहा, ''डरने की कोई ज़रूरत नहीं ये बात समझ, बातचीत के बाद कही जा सकती है, लेकिन सतर्क रहने की ज़रूरत है. ट्रीटमेंट गाइडलाइन्स में कोई बदलाव नहीं होगा. वायरस म्युटेशन का वैक्सीन की क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ेगा.''

स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा, ''163 दिन बाद देश मे एक्टिव केस 3 लाख से कम हुई. अब एक्टिव केस 3% से कम है. ये 173 दिन बाद 20,000 से कम नए मामले आए हैं. अब तक 16.3 करोड़ टेस्ट हुए और भारत में प्रति दस 10 लाख आबादी पर 7300 मामले हैं. जबकि डेथ प्रति दस 10 लाख पर 106 हैं. भारत में पिछले एक हफ्ते में प्रति दस 10 लाख आबादी पर 124 नए मामले हैं. विश्व औसत 588 हैं.''

क्या बच्चों को कोरोना वैक्सीन दी जाएगी? 

नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने कहा, ''अभी तक जो गाइडलाइन बनी है अंतरराष्ट्रीय रूप से बनी है उसके हिसाब से बच्चों को ये (कोरोना) वैक्सीन देने की जरूरत नहीं है. ये ज़्यादा उम्र के लोगों की बीमारी पाई गई है. अभी तक जो सुबूत मिले हैं उसके आधार पर बच्चों को वैक्सीन देने का कोई कारण नहीं है. वैसे भी अभी तक जो ट्रायल हुए हैं वह 18 वर्ष से ऊपर के लोगों पर हुए हैं.''

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