कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन को 26 जनवरी की घटना के बाद एक अलग गति मिल गई है. दिल्ली-उत्तर प्रदेश के बीच गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान जुटे हुए हैं और प्रमुख किसान नेता राकेश टिकैत के आह्वान के बाद कई राज्यों से बड़ी संख्या में किसान जुट रहे हैं. ऐसे में किसान संगठनों ने 6 फरवरी को चक्का जाम करने का ऐलान किया है. किसान नेताओं की कोशिश है कि गणतंत्र दिवस को हिंसा की घटनाओं से धूमिल हुई आंदोलन की छवि को दोबारा मजबूत किया जाए.
बता दें कि इसी कोशिश के तहत संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 तारीख को चक्का जाम का ऐलान किया है. भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के अध्यक्ष मंजीत सिंह राय ने कहा कि 'हमने 6 तारीख़ को चक्का जाम का ऐलान किया है. दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक चक्का जाम रहेगा. हम इस चक्का जाम से दिखाना चाहते हैं कि पूरे देश के किसान एक हैं. पूरा देश किसानों के साथ हैं. हम सरकार को अपनी ताकत दिखानी है.'
किसानों की बढ़ती तादाद को देखते हुए किसानों के प्रदर्शनस्थलों पर दिल्ली पुलिस ने बैरिकेडिंग के नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं. पुलिस ने यहां पर किसानों के ट्रक आने से रोकने के लिए रास्ते पर कीलें लगवानी और सीमेंट की बैरिकेडिंग लगवानी शुरू कर दी हैं.
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इसपर मंजीत सिंह राय ने सवाल पूछा कि क्या किसानों को ऐसा ट्रीटमेंट क्यों दिया जा रहा है, क्या वो दूसरे देश से आए हैं? उन्होंने कहा, 'हम क्या दूसरे देश से आए हैं? क्या हम चीन से आए हैं, क्या हम पाकिस्तान से आए हैं, जो हमें दिल्ली से अलग किया जा रहा है? यहां बिजली काटी जा रही है. पानी की समस्या हो रही है. सरकार ग़लत काम कर रही है.'
बता दें कि किसानों के धरनास्थलों पर कुछ दिनों बिजली-पानी की सप्लाई रोक दी गई थी, वहीं सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था को भी बंद कर दिया था. हालांकि, बाद में सप्लाई शुरू हो गई थी.