तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय की अध्यक्षता वाली संसद की खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम को अक्षरश: लागू करने की सिफारिश की है. समिति ने शुक्रवार को लोकसभा में पेश एक ताजा रिपोर्ट में यह सिफारिश की. यह अधिनियम उन तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) में से एक है, जिसके खिलाफ पिछले 100 दिन से अधिक वक्त से किसान दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे हैं.
संसद की इस समिति में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, डीएमके और आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दलों के सांसद शामिल हैं. 'आवश्यक वस्तु की कीमत वृद्धि- कारण एवं प्रभाव' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के 62वें पन्ने पर कहा गया, "समिति को उम्मीद है कि आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम-2020 कृषि क्षेत्र में विशाल अप्रयुक्त संसाधनों को खोलने में तेजी लाने का काम करेगा. इससे कृषि क्षेत्र में निवेश का माहौल सृजित करने, कृषि विपणन में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
समिति ने 19 मार्च को लोकसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में सरकार को आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 को पूर्णत: लागू करने की सिफारिश की, ताकि इस देश के किसान और अन्य हितधारक उक्त अधिनियम के तहत अपेक्षित लाभ प्राप्त कर सकें.
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश अधिकांश कृषि-वस्तुओं में अधिशेष की स्थिति में आ गया है, लेकिन कोल्ड स्टोरेज, गोदामों, प्रसंस्करण और निर्यात में निवेश की कमी के कारण किसानों को बेहतर कीमतें नहीं मिल पायी हैं, क्योंकि आवश्यक वस्तु अधिनियम-1955 में नियामक तंत्र द्वारा उद्यमियों को हतोत्साहित किया जाता है. इससे किसानों को तब नुकसान होता है जब बंपर फसल होती है, खासकर खराब होने वाली वस्तुओं की, जिनमें से अधिकांश नुकसान को पर्याप्त प्रसंस्करण सुविधाओं के जरिये कम किया जा सकता है.
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