राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर किसान संगठनों का आज आठवें दिन विरोध-प्रदर्शन जारी है. इस बीच आज सरकार के प्रतिनिधियों और किसान नेताओं के बीच चौथे दौर की बातचीत होनी है. इसबीच देश भर के किसान "अपनी मांगों के लिए एकजुट" हैं और कहा है कि जब तक "काले" कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है, तब तक उनका विरोध जारी रहेगा. किसानों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि यदि तीनों किसान कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो वे दिल्ली के रास्ते ब्लॉक कर देंगे. किसानों ने ये भी कहा है कि सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाकर इन कानूनों को रद्द करे. उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार पंजाब के किसानों के अलावा पूरे देश के किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाए.
1) किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि सुधार से जुड़े कानून वापस लिए जाएं, लेकिन सरकार कानून वापस लेने के लिए तैयार नहीं है. सरकार ने लिखित में नए कानूनों पर किसान संगठनों से उनकी मुख्य चिंताओं पर जवाब माँगा था लेकिन किसान संगठन कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं.
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2) किसान संगठन MSP के लिए नए कानून की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार की दलील है कि मौजूदा व्यवस्था जारी रखी गयी है. सरकार का तर्क है कि 01 दिसंबर, 2020 तक धान की खरीद 19% से ज्यादा बढ़ी है और सबसे ज्यादा खरीद 62 फीसदी पंजाब में ही हुआ है.
3) किसान संगठन पराली जलने के खिलाफ सख्त नियमों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं, सरकार इसके लिए अब तक तैयार नहीं है.
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4) किसान संगठनों की मांग है कि प्रस्तावित Electricity (Amendment) Bill 2020 किसानों के खिलाफ है, इसलिए उन्हें वापस लिया जाए. सरकार का कहना है कि प्रस्तावित बिल में किसानों के खिलाफ कुछ नहीं है, ये डिस्कॉम्स को सुधारने के लिए लाया जा रहा है. सरकार ने किसानों तक सौर ऊर्जा पहुँचाने के लिए PM-KUSUM (Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evem Utthan Mahabhiyan) योजना शुरू की है.
5) किसान संगठनों की दलील है कि किसी सुधार से जुड़े तीन नए कानून के लागू होने से मौजूदा मंडी व्यवस्था कमजोर पड़ जाएगी, जबकि सरकार का कहना है कि मौजूदा मंडी व्यवस्था जारी रहेगी स्टेटस-को में कोई बदलाव नहीं होगा.