किसान आंदोलनः 99 साल के किसान ने कहा- ''जरूरत पड़ी तो फिर लौटेंगे''

गाजीपुर बार्डर से रविवार को किसान वापस लौटने लगे हैं. शनिवार को आखिरी बार NH-9 के मंच से किसान आंदोलन की सभा हुई.

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गाजीपुर बार्डर से रविवार को किसान वापस लौटने लगे हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत ने कुछ ऐसे किसानों को सम्मानित किया जिनकी बदौलत ये आंदोलन सफल रहा. इनमें 99 साल के किसान राज सिंह के साथ तमाम युवा किसान शामिल हैं. इस कार्यक्रम की शुरुआत बल्ली सिंह चीमा की कविता से हुई. पंजाब के मशहूर जनकवि बल्ली सिंह चीमा किसान आंदोलन को अपनी कविता से हमेशा मजबूत बनाए रखे.

बता दें कि इस आंदोलन में तमाम किसान नेता शामिल हुए. लेकिन मुरादनगर के 99 साल के किसान राज सिंह ने करीब एक साल ठंड-गर्मी-बरसात और कोरोना को गाजीपुर बार्डर पर झेला और समय-समय पर युवाओं का हौसला बढ़ाते रहे. उनको राकेश टिकैत ने आज शनिवार को सम्मानित किया.

मुरादनगर के किसान राज सिंह ने कहा कि जब जरुरत होगी तब वो आंदोलन में भाग लेते रहेंगे. 99 साल के राजसिंह के अलावा इलाहाबाद के 26 साल के अनुज सिंह भी सम्मानित हुए हैं. इलाहाबाद से आकर अपना वक्त और पैसा खर्च करके राकेश टिकैत के साथ परछाई जैसे रहे. उन्होंने कहा कि लोग खूब मजाक उड़ाते थे, लेकिन आज जीत के आत्मविश्वास के साथ वो लौट रहे हैं.

भारतीय किसान यूनियन के प्रयागराज के जिलाध्यक्ष अनुज सिंह ने कहा कि लोग कहते थे कि कहा जा रहे हो? क्यों हाथ-पैर मार रहे हो? मोदी कानून वापस लेने वाले नहीं है लेकिन आज जीत की खुशी के साथ लौट रहे हैं.

गाजीपुर बार्डर से रविवार को किसान वापस लौटने लगे हैं. शनिवार को आखिरी बार NH-9 के मंच से किसान आंदोलन की सभा हुई. अब किसान टेंट जरुर उखाड़ रहे हैं, लेकिन इस उम्मीद के साथ कि जब भी किसानों को लगेगा कि सरकार की नीतियां उनके खिलाफ हैं, तो इस तरह के टेंट लगते रहेंगे.

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