''किसान के लिए तो हर तरफ से मरण है'' : MSP पर बवाल के बाद अब FCI के नए प्रस्‍तावों से 'अन्‍नदाता' नाराज

किसान राहुल कहते हैं, 'ले देकर कहानी यही है कि सरकार समर्थन मूल्य खत्म करना चाह रही है. किसानों का ही मरण होता है.किसान का माल सस्ता, बाकी सब महंगा.'

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किसानों का आरोप है कि सरकार किसी भी तरह समर्थन मूल्य खत्म करना चाह रही है
भोपाल:

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर अभी हंगामा थमा भी नहीं है कि किसानों की फसल खरीद में सख़्त नियम लाने का प्रस्ताव सत्ता के गलियारों में घूम रहा है. भारतीय खाद्य निगम यानी FCI के नये प्रस्ताव का जो ड्राफ्ट है वो कहता है कि फसल खरीदी के दौरान नमी कम रखी जाए, गुणवत्ता अच्छी हो. इसके पीछे तर्क ये है कि लोगों को अच्छी गुणवत्ता का खाद्यान्न मिले, क्वॉलिटी अच्छी होगी तो उसे लंबे वक्त तक रखा भी जा सकता है. दूसरी ओर, कुछ लोगों को लग रहा है कि ये MSP पर एक और वार है

भोपाल की करौंद मंडी में 9 बजे किसान फसल लेकर पहुंच गए लेकिन 12 बजे तक मंडी कर्मचारी नहीं पहुंचे, माल की तुलाई शुरू नहीं हो सकी. इस दौरान एफसीआई के नये प्रस्तावों को लेकर चर्चा चली. धर्मरा से आए नवल किशोर कुशवाहा 17 एकड़ खेत से 22 लोगों का परिवार पालते हैं. एफसीआई के नए ड्राफ्ट के बारे में नवल किशोर कहते हैं, 'नमी आएगी तो रेट डाउन हो जाएगा.नमी तो आती है फसल कटती है तो ये मॉश्चयर का मामला है. किसानों को पता भी नहीं लगता. 2000 की उम्मीद करते हैं  1800 लेकर जाते हैं किसान के लिये व्यवस्था नहीं है.किसान के लिये हर तरफ से मरण है.'  एक अन्‍य किसान बृज किशोर मीणा 40 एकड़ के मालिक हैं. वे कहते हैं, 'किसान के लिए हर बात में कतार है.' वे कहते हैं,' किसान को यह नुकसान होगा कि माल को बेचने में दिक्कत आएगी. ऐसे मौसम में नमी तो आएगी ही मूल्य कम मिलेगा. किसान हर जगह परेशान  है. गल्ला बेचने के लिये लाइन में, पैसा लेने हर जगह लाइन में, खाद के लिये लाइन में लगा. प्राकृतिक आपदा ये भी किसान झेल रहा है किसान के हाल बहुत बुरे हैं.'  छह एकड़ की जमीन से छह लोगों का परिवार पाल रहे किसान राजेश कहते हैं, 'किसान को नुकसान है. ज्यादा नमी होगी तो किसान को घाटा है.किसानों पर विपत्ति ही पड़ती है पर झेलते हैं.'

नए प्रस्‍तावों में गेहूं खरीद में नमी को 14 से 2 फीसदी घटाकर 12 करने का प्रस्ताव है. फॉरेन मैटर 0.75% से 0.50% तक होगा.कम क्षतिग्रस्त गेहूं को 4% से 2% तक किया जाएगा, और सिकुड़े गेंहू को 6% से 4% करने का प्रस्ताव है. धान की खरीद में नमी को 17 घटाकर 16 प्रतिशत करने, बदरंग धान की मात्रा पांच प्रतिशत से घटा कर तीन प्रतिशत करने जैसे कई नियम प्रस्तावित हैं.  कृषि के जानकारों का मानना है कि किसान विरोधी प्रस्ताव हैं. सरकार बैकडोर से MSP पर प्रहार कर रही है. हालांक कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के खाद्य आपूर्ति मंत्री के स्वर नरम ही थे. छत्तीसगढ़ के खाद्य आपूर्ति अमरजीत भगत ने कहा, ' जो गाइडलाइन है उसे फॉलो करना होता है. हर बात में किसानों पर शिकंजा कसेंगे. कभी मॉश्चयर के नाम पर और कभी क्वॉलिटी के नाम से, तो किसान परेशान होंगे इसमें देखकर करना चाहिए.'

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किसान राहुल कहते हैं,  'ले देकर कहानी यही है कि सरकार समर्थन मूल्य खत्म करना चाह रही है. किसानों का ही मरणा होता है.किसान का माल सस्ता, बाकी सब महंगा. आज समर्थन मूल्य 2025 है, मंडी में मूल्य है 1800 रुपये. कुल मिलाकर समर्थन मूल्य तोड़ना चाह रहे हैं.'मध्‍य प्रदेश कांग्रेस-किसान प्रकोष्ठ के अध्‍यक्ष केदार सिरोही कहते हैं, ' एमएसपी देना तो दूर लेकिन जो मिल रहा है उसे भी खत्म करने की साजिश है. सिर्फ 6 प्रतिशत खरीदी होती है अब नियम सख्त कर रही है ताकि किसान कम से कम बेच पाए. एक तरफ इंपोर्ट कर रहे हैं उनके नियमों में रिलेक्सेशन है लेकिन जो किसानों से खरीदा जाए उसमें इतनी सख्ती की जा रही है. हमारी खेती अलग-अलग जलवायु में होती है प्रकृति की मार इसको लेकर क्वॉलिटी में भिन्नता होती है नियम सख्त होंगे तो कई किसान एमसएपी पर खरीदी से बाहर हो जाएंगे.'

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केन्द्र से इस मामले में कैमरे पर तो प्रतिक्रिया नहीं मिली लेकिन सरकारी सूत्रों ने हमारे वरिष्ठ सहयोगी हिमांशु शेखर मिश्रा को बताया कि एफसीआई, राज्य सरकारों के साथ खरीद मानदंडों को संशोधित करने के लिए एक मसौदा रोडमैप पर काम कर रहा है. एफसीआई ने खरीद के प्रभारी सभी संबंधित राज्यों से किसानों, मिल मालिकों और दूसरे हितधारकों को खरीद के प्रस्तावित नए मानदंडों पर राज्य स्तर पर चर्चा में शामिल करने का अनुरोध किया है. एफसीआई अध्यक्ष ने एफसीआई द्वारा तैयार किए गए मसौदा रोडमैप पर उनके विचार जानने के लिए पिछले सप्ताह खरीद के प्रभारी राज्य खाद्य सचिवों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की। राज्यों ने कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए हैं.

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खरीद मानदंडों को संशोधित करने के प्रस्ताव के पीछे दो व्यापक उद्देश्य हैं:

क) यह सुनिश्चित करने के लिए कि आम लोगों को बेहतर गुणवत्ता वाला खाद्यान्न मिले

ख) बेहतर गुणवत्ता वाले खाद्यान्नों की खरीद से एफसीआई को भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए लंबे समय तक भंडारण करने में मदद मिले

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भारतीय खाद्य निगम की दलीलें ग्राहकों या विक्रेता के नजरिये से भले ही अच्छी हों लेकिन किसान को भरोसे में लेना थोड़ा मुश्किल है. खासकर तब, जब मौसम, कतार, भौगौलिकता सब फसल की नमी पर असर डालते हैं और तौल के वक्त उसकी फसल को क्वॉलिटी के नाम पर औनेपौने दाम मिलते हैं.

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