ट्रैक्टरों के बड़े-बड़े काफिलों के साथ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे आंदोलनरत किसानों ने शनिवार की सुबह अपने-अपने गृह राज्यों की तरफ लौटना शुरू कर दिया. साल भर से ज्यादा वक्त तक अपने घरों से दूर डेरा डाले हुए ये किसान अपने साथ जीत की खुशी और सफल प्रदर्शन की यादें लेकर लौट रहे हैं. किसानों ने सिंघू, टिकरी और गाजीपुर सीमाओं पर राजमार्गों पर नाकेबंदी हटा दी और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी के लिए एक समिति गठित करने सहित उनकी अन्य मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र के लिखित आश्वासन का जश्न मनाने के लिए एक ''विजय मार्च'' निकाला.
एक सफल आंदोलन के बाद पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों के अपने घरों के लिए रवाना होने के साथ ही भावनाएं उत्साह बनकर उमड़ने लगीं. रंग-बिरंगी रोशनी से सजे ट्रैक्टर जीत के गीत गाते हुए विरोध स्थलों से निकलने लगे और रंगीन पगड़ियां बांधे बुजुर्ग युवाओं के साथ नृत्य करते नजर आए. न्यूज एजेंसी एएनआई ने ट्विटर पर इसकों लेकर कई वीडियो पोस्ट किए. एक ट्वीट में दिख रहा है कि कुछ लोग खुशी मनाते हुए ट्रैक्टर से घर जा रहे हैं.
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पंजाब के मोगा निवासी किसान कुलजीत सिह ओलाख ने घर लौटने को उत्सुक अपने साथी किसानों के साथ सफर शुरू करने से पहले कहा, “सिंघू बॉर्डर पिछले एक साल से हमारा घर बन गया था. इस आंदोलन ने हमें (किसानों को) एकजुट किया. यह एक ऐतिहासिक क्षण है और आंदोलन का विजयी परिणाम और भी बड़ा है.”
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वहीं सिंघू सीमा (दिल्ली-हरियाणा सीमा) पर भी किसान वहां से हट गए हैं. कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था.
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सिंघू सीमा के पास केएमपी फ्लाईओवर पर वाहनों की लंबी कतारें देखी गईं. किसान साल भर के विरोध प्रदर्शन के बाद अपने घरों को लौट रहे थे. बता दें कि किसान 11 दिसंबर को ‘विजय दिवस' के रूप में मना रहे हैं.
एएनआई ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें सिंघू बॉर्डर पर किसान भजन गाते हुए दिखाई दिए. बता दें कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
गाजीपुर सीमा पर एक किसान जीतेंद्र चौधरी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने घर लौटने के लिए अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉली तैयार करने में व्यस्त थे. किसानों ने कहा कि वह सैकड़ों अच्छी यादों के साथ और कृषि कानूनों के खिलाफ मिली जीत के साथ घर जा रहे हैं. एएनआई ने ट्विटर पर इस संबंध में एक पोस्ट भी किया है.