Amarnath Yatra 2025: आपके लिए कौन-सा रूट सही, क्‍या सावधानियां जरूरी? आज से शुरू हुई अमरनाथ यात्रा से जुड़े 10 जरूरी सवाल के जवाब

कौन सा रूट आपके लिए सही है? क्या घोड़े से जाना बेहतर है? इसके लिए मेडिकल जांच कैसे होती है? क्‍या सावधानियां बरतनी जरूरी है? यहां आपको मिलेगा हर जरूरी सवाल का जवाब.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

Amarnath Yatra

फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • पवित्र अमरनाथ यात्रा 2025 की शुरुआत हो चुकी है. के लिए श्रद्धालुओं ने जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा शुरू की है
  • अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो मुख्य रूट हैं: पहलगाम (48 किमी) और बालटाल (14 किमी)
  • तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन और केंद्रीय बलों को तैनात किया गया है.
  • जा श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, उनके लिए ऑफलाइन और तत्‍काल व्‍यवस्‍था भी है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
नई दिल्‍ली:

अमरनाथ यात्रा 2025 (Amarnath Yatra 2025) की शुरुआत हो चुकी है. बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर के कठिन पर्वतीय इलाकों में यात्रा पर निकल चुके हैं. करीब 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को लंबा और चुनौतीपूर्ण ट्रैक करना पड़ता है. दो मुख्य रास्तों पहलगाम और बालटाल, से होकर श्रद्धालु बाबा की गुफा तक पहुंचते हैं. कोई तीन दिन का लंबा सफर चुनता है तो कोई एक दिन का रोमांचक ट्रैक.

अमरनाथ यात्रा को लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं. कौन सा रूट आपके लिए सही है? किस रूट पर कैसी सावधानियां बरतनी जरूरी है? यहां आपको मिलेगा हर जरूरी सवाल का जवाब.

Q1: अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए कौन से दो मुख्य रूट हैं?

अमरनाथ गुफा तक पहुंचने के लिए दो मुख्य रूट हैं:

  • पहलगाम रूट: यह लगभग 48 किलोमीटर लंबा है.
  • बालटाल रूट: यह लगभग 14 किलोमीटर लंबा है.

Q2: पहलगाम रूट से अमरनाथ दर्शन में कितना समय लगता है और क्‍या खास है?

पहलगाम रूट से बाबा बर्फानी के दर्शन में आमतौर पर 3 से 4 दिन का समय लगता है. यह मार्ग करीब 48 किलोमीटर लंबा है. यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और अपेक्षाकृत आसान है क्योंकि इसमें खड़ी चढ़ाई कम है. इसकी धार्मिक मान्यता भी अधिक मानी जाती है.

Advertisement

अमरनाथ यात्रा के लिए निकल पड़े श्रद्धालु

Q3: बालटाल रूट से अमरनाथ दर्शन में कितना समय लगता है और और क्‍या खास है?

बालटाल रूट से बाबा बर्फानी के दर्शन में 1 से 2 दिन का समय लगता है. यह मार्ग करीब 14 किलोमीटर लंबा है. यह रास्ता छोटा तो है, लेकिन इसमें खड़ी चढ़ाई और संकरे, खतरनाक मोड़ होते हैं, जो इसे चुनौतीपूर्ण बनाते हैं. यह उन युवाओं और स्वस्थ लोगों के लिए उपयुक्त है जिनके पास कम समय है और जो रोमांच पसंद करते हैं.

Advertisement

Q4: पहलगाम रूट का पूरा पड़ाव प्लान क्या है?

पहलगाम से यात्रा शुरू करने के बाद, 

  • पहला दिन: पहलगाम से चंदनवाड़ी (लगभग 16 किमी) और फिर पिस्सू टॉप (चंदनवाड़ी से लगभग 3 किमी खड़ी चढ़ाई) के बाद शेषनाग (पिस्सू टॉप से लगभग 9 किमी).
  • दूसरा दिन: शेषनाग से पंचतरणी (लगभग 14 किमी).
  • तीसरा दिन: पंचतरणी से अमरनाथ गुफा (लगभग 6 किमी), जिसके बाद श्रद्धालु बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं.

Q5: ज्यादातर श्रद्धालु लंबा पहलगाम रूट ही क्यों चुनते हैं?

ज्यादातर श्रद्धालु पहलगाम रूट चुनते हैं क्योंकि भले ही यह लंबा है और इसमें ज्यादा समय लगता है, लेकिन यह कम चुनौतीपूर्ण और आसान है. इस रास्ते पर खड़ी चढ़ाई कम होती है, जो बुजुर्गों और परिवार के साथ यात्रा करने वालों के लिए सुविधाजनक होता है. साथ ही, इसकी धार्मिक मान्यता भी अधिक मानी जाती है.

Advertisement

Q6: ज्यादातर युवा बालटाल का छोटा रूट क्यों लेते हैं?

ज्यादातर युवा और शारीरिक रूप से फिट लोग बालटाल का छोटा रूट लेते हैं क्योंकि यह कम समय में (1-2 दिन) दर्शन करा देता है. यह मार्ग रोमांच पसंद करने वालों के लिए है क्योंकि इसमें सीधी और खड़ी चढ़ाई होती है, जो उनकी फिटनेस के लिए एक चुनौती पेश करती है.

Advertisement

Q7: दोनों रूट की अलग-अलग क्या चुनौतियां हैं?

  • पहलगाम रूट: इसकी मुख्य चुनौती इसकी लंबाई (48 किमी) और इसमें लगने वाला समय (3 दिन) है. हालांकि, यह रास्ता अपेक्षाकृत आसान है.
  • बालटाल रूट: इसकी मुख्य चुनौती सीधी और खड़ी चढ़ाई, साथ ही संकरे और खतरनाक मोड़ हैं. इस रूट पर टट्टू से जाने की अनुमति नहीं है, और लोगों को केवल पैदल चलने की अनुमति होती है, जो इसे बुजुर्गों के लिए अनुपयुक्त बनाता है.

Q8: अमरनाथ यात्रा के लिए तत्‍काल टोकन व्‍यवस्‍था क्‍या है?

जो श्रद्धालु ऑनलाइन रजिस्‍ट्रेशन नहीं करवा पाए हैं, उनके लिए 30 जून से ऑफलाइन प्रक्रिया चल रही है. जम्मू रेलवे स्टेशन के पास सरस्वती धाम, जम्मू के वैष्णवी धाम और पंचायत भवन महाजन, ई-केवाईसी सेंटर, रेलवे स्टेशन और बेस कैंप भगवती नगर के अलावा नामित बैंकों की  533+ शाखाओं में टोकन सेंटर तय किए गए हैं. जम्मू में सोमवार से पहले आओ पहले पाओ के आधार पर यात्रा के लिए पंजीकरण चल रहा है. शहर में तत्काल पंजीकरण काउंटर लगाए गए हैं. 

अनंतनाग में तैनात सुरक्षाकर्मी

Q9: अमरनाथ यात्रा में घोड़े से जाने की क्या प्रक्रिया है?

अमरनाथ यात्रा में घोड़े से जाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्‍यान में रहे: 

  • घोड़ों का हेल्थ चेकअप होता है और उन्हें जीआई टैग लगाया जाता है, जिससे उनकी पहचान, मालिक और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी मिलती है.
  • घोड़ों का पूरे वर्ष का इंश्योरेंस होता है, जिसे समय-समय पर बदला जाता है (जैसे तीन महीने या छह महीने का). घोड़े की मृत्यु होने पर मालिक को ₹60,000-₹1,00,000 मिलते हैं.
  • हर घोड़े के साथ एक सहायक होता है जिसका पहचान पत्र (ID) और मेडिकल चेकअप होता है. सुरक्षा के मद्देनजर यात्रा पर जाने से पहले सहायक को बदला नहीं जा सकता.
  • प्रति घोड़ा दो दिन के लिए ₹8,000-₹10,000 का सरकारी रेट तय है. इसमें खाना-पीना अलग से होता है.
  • अगर अमरनाथ यात्रा पर घोड़े की मृत्‍यु हो जाए, तो घोड़े के मालिक को बीमा के तहत करीब ₹60,000 से ₹1,00,000 मिलते हैं.

Q10: अमरनाथ यात्रा के लिए प्रशासन ने क्या विशेष इंतजाम किए हैं?

जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं. इनमें आधार शिविर, मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन बूथ और भोजन की व्यवस्था शामिल है. सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां तैनात रहती हैं. साथ ही, मौसम की जानकारी और आपातकालीन सेवाओं के लिए हेल्पलाइन नंबर भी उपलब्ध कराए गए हैं.