1.55 लाख में B.A. की फेक डिग्री, दिल्ली में फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश

पुलिस ने बताया कि ये रैकेट विभिन्न यूनिवर्सिटियों, कॉलेजों और बोर्ड्स के नाम पर फर्जी डिग्रियां बनाता था. दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस रैकेट ने कितने लोगों को ठगा और इसके पीछे बड़े नेटवर्क की क्या भूमिका है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली के सेंट्रल जिले की साइबर पुलिस ने एक बड़े ऑनलाइन फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस रैकेट ने सैकड़ों लोगों को फर्जी डिग्रियां बेचकर लाखों रुपये की ठगी की. पुलिस ने आरोपियों के पास से चार मोबाइल फोन, सात सिम कार्ड और सैकड़ों फर्जी डिग्रियों का डिजिटल डेटा बरामद किया है. मामला तब सामने आया जब गुरुग्राम की एक आईटी कंपनी में कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे एक युवक को पर्मानेंट नौकरी का ऑफर मिला.

कंपनी ने उससे ग्रेजुएशन डिग्री मांगी, लेकिन उसके पास केवल मार्कशीट थी. यूनिवर्सिटी से डिग्री न मिलने पर उसने अपने मैनेजर से मदद मांगी, जिसने उसे कपिल झाकर नाम के शख्स से मिलवाया. कपिल ने डिग्री बनवाने का भरोसा दिलाया और शुरुआत में 25-30 हजार रुपये मांगे. बाद में अलग-अलग बहानों से उसने पीड़ित से कुल 1,55,874 रुपये वसूल लिए. बदले में उसने मानव भारती यूनिवर्सिटी की एक फर्जी डिग्री भेजी, जो न तो साइन थी और न ही वैध. जब पीड़ित ने सवाल उठाए, तो कपिल ने उसे ब्लॉक कर दिया. यह घटना 20 मार्च 2025 को दर्ज हुई.

साइबर पुलिस ने तुरंत केस दर्ज कर तकनीकी निगरानी और मोबाइल ट्रैकिंग शुरू की. जांच के दौरान मुख्य आरोपी कपिल झाकर (32) को हरियाणा के भिवानी जिले के बोहल गांव से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में उसने अपने नेटवर्क और फर्जी डिग्री सप्लाई चेन का खुलासा किया. उसकी निशानदेही पर दूसरी आरोपी डामिनी शर्मा (33) को दिल्ली के करकरडोमा इलाके से पकड़ा गया. डामिनी फर्जी डिग्रियां तैयार करने और बेचने में शामिल थी. उसके पास से तीन मोबाइल फोन, पांच सिम कार्ड और सैकड़ों फर्जी डिग्रियों का डेटा मिला.

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पुलिस ने बताया कि ये रैकेट विभिन्न यूनिवर्सिटियों, कॉलेजों और बोर्ड्स के नाम पर फर्जी डिग्रियां बनाता था. दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस रैकेट ने कितने लोगों को ठगा और इसके पीछे बड़े नेटवर्क की क्या भूमिका है.  साइबर पुलिस ने जनता से अपील की है कि डिग्री या सर्टिफिकेट बनवाने के लिए अनजान व्यक्तियों या एजेंटों पर भरोसा न करें। किसी भी दस्तावेज के लिए सीधे संबंधित यूनिवर्सिटी या संस्थान से संपर्क करें. 

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