फैक्ट चैक : नहीं, यह वीडियो पटना में वक्फ़ बोर्ड के समर्थन में हुए विरोध प्रदर्शन का नहीं है

वायरल हो रहा वीडियो 2015 का है, जब बिहार के पटना में अपने बकाया वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे मदरसा शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.

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सोशल मीडिया पर एक पोस्ट का स्क्रीनशॉट जिसमें बिहार के पटना में वक्फ़ बोर्ड के समर्थन में जुलूस निकालने का ग़लत दावा किया गया है. (सोर्स: एक्स/स्क्रीनशॉट)
नई दिल्ली:

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिस लोगों की पिटाई करती दिख रही है. वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो पटना में वक्फ़ बोर्ड के समर्थन में जुलूस निकाल रहे मुस्लिम समुदाय पर पुलिस लाठीचार्ज का है. 

एक एक्स यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "बिहार- पटना में वक्फ बोर्ड के समर्थन में जूलूस निकाल कर उपद्रव कर रहे समुदाय विशेष के लोग भूल गए की यह लालू और तेजस्वी की सरकार नहीं हैं! नीतीश कुमार और बीजेपी गठबंधन की सरकार है, पुलिस ने पहले तो इन्हें प्यार से समझाया, और ये मानने को तैयार न थे तब मजबूरन पुलिस को इनकी जमकर खातिरदारी करनी पड़ी."

रिपोर्ट लिखे जाने तक इस पोस्ट को 242,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका था और 7,400 से ज़्यादा लाइक मिल चुके थे. इस पोस्ट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें. इसी दावे के साथ शेयर किये गए अन्य पोस्ट यहां, यहां और यहां देखे जा सकते हैं.

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वक्फ़ बोर्ड वक्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए वक्फ़ अधिनियम 1995 के तहत हर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में स्थापित संगठन हैं. ये बोर्ड मुसलमानों के धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन के पहलुओं की देखरेख करते हैं.

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यह दावा तब सामने आया जब बिहार विधानसभा में विपक्षी सदस्यों ने केंद्र सरकार से वक्फ़ (संशोधन) विधेयक को वापस लेने की मांग की. अगस्त 2024 में लोकसभा में पेश किए गए इस विधेयक में केंद्रीय वक्फ़ परिषद और वक्फ़ बोर्डों की संरचना में बदलाव का प्रस्ताव है, जिससे गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जा सके. विपक्षी दलों ने इस विधेयक की आलोचना करते हुए दावा किया है कि यह मुसलमानों को उनकी भूमि, संपत्ति और धार्मिक मामलों के प्रबंधन के अधिकार से वंचित करना चाहता है.

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हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि यह वीडियो 2015 का है, जब बिहार के पटना में वेतन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे मदरसा शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था. इसका वक्फ़ बोर्ड से कोई संबंध नहीं है. 

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सच्चाई कैसे पता चली?
वायरल वीडियो के 1:04 टाइमस्टैम्प पर एक व्यक्ति को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "हम लोग मदरसा के वेतन की मांग कर रहे थे. हमारी मांगें पूरी नहीं हो रही हैं." इससे पता चलता है कि विरोध प्रदर्शन का वक्फ़ बोर्ड से कोई संबंध नहीं था.

वीडियो के कीफ्रेम्स की रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें कई मीडिया आउटलेट्स की रिपोर्ट मिलीं, जिनसे पुष्टि हुई कि यह वीडियो पटना में 2015 में हुए विरोध प्रदर्शन का है.

अगस्त 28, 2015 को प्रकाशित मिड-डे की रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था, "बिहार में प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया (आर्काइव यहां), में उसी विरोध प्रदर्शन के दृश्य मौजूद थे, जिसका श्रेय एएनआई को दिया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार राज्य मदरसा शिक्षक संघ द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था, जिसमें दो साल से लंबित वेतन की मांग की गई थी. प्रदर्शनकारियों ने कथित तौर पर अपनी शिकायतों के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलना चाहा, लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज करके उन्हें तितर-बितर कर दिया. इससे पुष्टि होती है कि वायरल वीडियो पुराना है और वक्फ़ बोर्ड से संबंधित नहीं है.

टाइम्स ऑफ इंडिया ने भी अगस्त 28, 2015 को उसी वीडियो को उसी शीर्षक के साथ एक रिपोर्ट में प्रकाशित किया, "बिहार में प्रदर्शनकारी शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया."

अगस्त 27, 2015 को प्रकाशित इंडिया टीवी यूट्यूब वीडियो (आर्काइव यहां) से और पुष्टि हुई, जिसमें विरोध प्रदर्शन के समान दृश्य मौजूद थे. रिपोर्ट में विरोध प्रदर्शन की जगह गर्दनीबाग, पटना बताई गई है, जहां नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में बकाया वेतन की मांग कर रहे शिक्षकों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.

अगस्त 2015 की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत (एआईएमएमएम) के सदस्यों और मदरसा शिक्षकों पर गर्दनीबाग स्टेडियम में लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए.

निर्णय
वायरल वीडियो में 2015 में बिहार के पटना में मदरसा शिक्षकों द्वारा राज्य सरकार के खिलाफ़ बकाया वेतन को लेकर किया गया विरोध प्रदर्शन दिखाया गया है. यह वक्फ़ (संशोधन) विधेयक को लेकर हुए हालिया विवाद या वक्फ़ बोर्ड के समर्थन में हुए किसी प्रदर्शन से संबंधित नहीं है.

यह ख़बर मूल रूप से Logically Facts द्वारा प्रकाशित की गई थी, और इसे शक्ति कलेक्टिव के अंतर्गत NDTV ने पुनर्प्रकाशित किया है.

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