सरकार के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों (Protesters) द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फेसबुक (Facebook) अकाउंट को लाइव प्रसारण के बाद ब्लॉक कर दिया गया और इंस्टाग्राम (Instagram) अकाउंट पर कंटेंट डालने पर रोक लगा दी गई है, प्रदर्शनकारियों ने ऐसा आरोप लगाया है. सरकार के इस कदम ने ऑनलाइन सेंसरशिप के बारे में बहस को फिर से खड़ा कर दिया है. हालांकि फेसबुक ने बाद में पेज को दोबारा खोल दिया और इंस्टाग्राम नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगाई थी वह भी हट गई है.
दरअसल रविवार शाम 7 बजे के फेसबुक ने 7 लाख से अधिक फॉलोअर्स वाले किसान एकता मोर्चा के पेज को ब्लॉक कर दिया था. यहआंदोलन के लिए उपयोग किए जा रहे सबसे बड़े पेजों में से एक है. इसके मैनेजर ने बताया था कि उनकी पहुंच को फेसबुक द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया है, फेसबुक का कहना था कि वह (किसानों का पेज) स्पैम पर अपने सामुदायिक मानकों के खिलाफ गया था.
उन्होंने कहा कि इंस्टाग्राम पर उनके पेज, जोकि फेसबुक के स्वामित्व में हैं, उस पर किसान एकता मोर्चा का इंस्टाग्राम अकाउंट अभी चल रहा है लेकिन कोई नया कंटेंट अपलोड करने पर पाबंदी लगाई गई है. यह करीब 7:00 बजे की घटना है जब किसान संगठन अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के बाद योगेंद्र यादव फेसबुक लाइव कर रहे थे, उसी दौरान फेसबुक पेज बंद हो गया.
हालांकि बाद में फेसबुक ने किसान एकता मोर्चा का पेज दोबारा खोल दिया. किसान आईटी सेल के मुताबिक इंस्टाग्राम पर नया कंटेंट अपलोड करने की जो पाबंदी लगी थी वह भी हट गई है.
किसान मोर्चा के आईटी सेल के बलजीत सिंह ने अपने बयान में कहा, "आज शाम 7 बजे फेसबुक पेज को उड़ा दिया गया. हमने आज अपनी लाइव स्ट्रिमिंग में मोदी जी के किसानों के लिए कही गई बात की क्लिप लेकर उनके जवाब दिए थे.किसान एकांत मोर्चा की पहुंच 54 लाख तक थी और एक लाख हमारे फॉलोअर्स थे .हम सभी किसान नेताओं के साथ कल उचित प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे"
बलजीत सिंह के लाइव होने के दौरान पृष्ठ को फिर से प्रकाशित कर दिया गया.
हजारों किसान तीन सप्ताह से नई दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. किसान केंद्र सरकार से कृषि सुधार बिलों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं, सरकार का कहना है किन इन कृषि सुधारों का उद्देश्य पुरातन कृषि क्षेत्र में निवेश लाना है, लेकिन किसानों का कहना है कि इन कानूनों से उन्हें बड़े निगमों की दया पर छोड़ दिया जाएगा.
प्रदर्शनकारियों ने बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों के बीच समझौता करने के प्रयासों को विफल कर दिया है, जो अपने छह साल के शासन में देश के किसानों से सबसे बड़ी चुनौती बन गया है.